तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकालंकार भाग - 7 | Tattvarthshlokavartikalankar Bhag - 7
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
527
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है समारोप
स्व७' मान्य श्री पं. वर्धमान पार्ववनाथ शास्त्री बी की घर्मपतती श्रीमती मदनमंजरी-
देवी शास्त्री. एवं. उनकें सुपुत्र श्री सुभाष शास्त्री एम. ए. तथा... उनकी. धर्मे-
पत्नों श्रीमती सुजाता शास्त्री एम्. ए. इलोकबरातिकाइकारके इस सातवे खडके प्रकाशन-
के में पूर्ण श्रेयोभागी हैं। ये सुयोग्य दम्पत्ती कार्यतत्पर, धर्मेसठग्त-वर्मतत एवं बडे विएयशील
हैं । स्वगंवाती श्री शास्त्री जीके जोवनकी जो सदिल्छा थो, दस ग्रंथ प्रकाशतनें जो. सदुद्देसप था ,
बहू इन आदर्श दम्पत्तियोंकी लगनसे तथा कतंब्य-परता से आज सफल हो रहा है । मुझे आशा
हो नहीं पूर्ण विश्वास है कि इसी प्रकार आगे भी इनके द्वारा घामिक सेवाएं समाजको प्राप्त हो,
और स्वर्गीय श्ास्त्रीजीका नाम समाजमें चिरस्थायी रहे ।
'' प्राककथन ” लिखकर इस पुण्यकार्यमें भाग प्राप्त करनेका जो. सदवकाश मिला है,
इसके लिए में इन दम्पतियोंका बहुत बहुत अभारी हूं । मेरे इस प्रामफदान के हिंदी अनुवादक-
* आस्थानविद्वानू ' * हिंदी रत्न ' ' सिद्धांत शास्त्री ' ' सं. साहित्यशिरोमणी ' पं. शिशुपाल पार््व-
नाथ शास्त्री का में ऋणी हूं । इस कथानके साथ ' प्राक्कथत ' से लेखनी विरमती हैं ।
प्रोफेसर ओर अध्यक्ष रनातकोत्तर जेनालाजी, आपका विद्वस्त -
प्राकृत विभाग, मानसगंगोत्री डॉ० ए+«. डी. वप्रंतराज
मैसुर-६ एम. ए. पी एच, डी,
१ ६. १ नव ठ
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