समय पाहुड़ | Samay Pahud

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Samay Pahud by कुन्दकुन्द - Kundkund

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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एयत्त णिच्छयगदो समओ सव्वत्थ सुंदरो लोगे। बंधकहा एयत्ते तेण विसंवादिणि होदि॥३॥ अन्बय -. एयत्त णिच्छयगदो समओ लोगे सव्वत्थ सुंदरो तेण एयत्ते बंधकहा विसम्बादिणि होदि । अर्थ - अकेला निश्चयगत (यथार्थता को प्राप्त) समय लोक में सर्वत्र सुन्दर (अविसंवादी) है। इसलिए एकत्व में बंध को करने वाली कथनी विसंवादिनी होती है। सुदपरिचिदाणुभूदा सव्वस्स वि कामभोगबंधकहा। एयत्तस्सुबलंभो णवरि ण सुलभो विहत्तस्स॥ ४॥ अन्वय -. कासभोगबंधकहा सव्वस्स युदपरिचिदाणुभ्ूदा। णवरि विहत्तस्स एयत्तस्सुवलंभो सुलभो ण1 अर्थ - काम-भोग और बंध (कर्म संचय) को करने वाली कथा सर्व जीवों द्वारा सुनी, परिचय में और इन्द्रियों द्वारा अनुभूति में आई है। केवल (पर-समय) विभक्त अकेले समय की उपलब्धि सुलभ नहीं है। है जी (




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