क्रान्तिकारी प्रवचन | krantikari Pravachan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पकपस्मपय नासा महावीर आज भी प्रासंगिक हैं । महावीर आज भी अप-ट्र-डेट
हैं। वे 'आउट ऑफ डेट कभी हो ही नहीं सकते, क्योंकि उनके सिद्धान्त
शाश्वत है गंगा केजल की तरह निर्मल व हिमाचल की तरह उच्च हैं ।
इन्दौर । प्रखर चिंतक जैन मुनिश्री तरुण सागरजी महाराज ने कहा कि महावीर
को जिन््हा में नहीं, जीवन में बसाएं । जब तक महावीर जिव्छा पर रहेंगे, ओषन
में कोई परिवर्तन नहीं होगा अगर जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाना है तो महावीर
को मंदिर से निकालकर मन में बसाना होगा, दिवालों से उखाड़ कर दिल में बैठाना
होगा । जिस दिन महावीर हमारे मन और दिल मे बस जायेंगे, उस दिन हमारा
दिल दायरा न रहकर दरिया बन जायेगा । अभी हमार दिल बहुत छोटा है उसमें
हम दो-हमारे दो ही समा पाते हैं । अगर अपने दायरे दिल को दरिया दिल बनाना
है तो महावीर स्वामी को अपने दिल में बसाओ और स्वयं महावीर मय हो जाओ।
ओजस्वी वक्तामुनि श्री तरुण सागरजी ने विशाल धर्म सभा को सम्बोधित
करते हुए आगे कहा कि भगवान महावीर आज भी प्रासंगिक हैं । महावीर आज
भी 'अप-टू-डेट' हैं। वे 'आउट ऑफ डेट कभी होही नहीं सकते। क्योंकि उनके
सिद्धान्त शाश्वत हिमाचल की तरह उच्च हैं ।
भगवान महावीर के सिद्धान्तों को विशद् व गृूढ़ व्याख्या करते हुए मुनिश्री
ने कहा कि महावीर स्वामी के सिद्धान्त आदर्श विश्व निर्माण में अत्यन्त सहयोगी
है । महावीर के उपदेश व्यष्टि व समब्टि दोनों के लिए मंगलकारी है । मुनिश्री
ने बताया कि दुनिया को जीतने वाला सिर्फ वीर होता है, लेकिन अपने आपको जीतने
वाला महावीर होता है । दुनिया को जीतना आसान है, सरल है, लेकिन अपने को
जीतना अत्यन्त कठिन है। विश्व में विजय की फताकाएं गाढ़ने वाला सम्राट सिकन्दर
भी जीवन के अन्तिम क्षणों में अनुभव करता है कि दुनिया को जीतकर भी अपने
आप से हार गया।
मुनिश्री ने कहा कि विलासिता के संसाधन हमारे जीवन चमन को उजाड़ कर
न सिर्फ वीरान बना देते हैं अपितु दर्द भरा जीवन जीने के लिए विवश भी कर
देते हैं । आध्यात्मिकता के अभाव में भौतिकता व्यक्ति को केवल पतनोन्मुखी बनाती
है। जीवन को उन्नत बनाने हेतु धन की नहीं, धर्म की आवश्यकता होती है !
0. नईदुनिया
१९ फरवरी ९३
ला दलविययार कायदाश लावंदं धयवदारर कदापलथ कवलमका ादिदाद द्ववायंए सवा साविदों कदाागर, वादा हवा, हदादन, सादा दाददादएंग सलवार, संवाद, लावा वानवादद वेल्दवरा इन्नेका,
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