नरक | Narak

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Book Image : नरक  - Narak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्‌ केसर, इधर कायदे से नाचना सीख रही थी । यो ता वह पहले से दी कुछ न कुछ ॒चाचना जानती थी-- आज की प्रत्येक लड़की कुछ न कुछ दाथ-पाँव चलाना जानती है । मॉ जब जीचित थी तवब॒चह॒ सड़क पर लड़कियों के साथ--अपनी चाल-सह्देलियों के साथ--नाचती फिरती थी । पर इस नाच '्औौर उस नाच में ज़मीन-आसमान का फक था। राजरानी इस वात का हमेशा खयाल रखती थी कि उसकी लडकियों मे कौन किंस टाइप” की है--कौन किस याग्य है। बहुत सम्भव है, जैसा केसर स्वयं महसूस करती थी, वह जानती रही हो कि केसर किसी योग्य नहीं है, किन्तु बह भीतर ही भीतर केसर मे बहुत दिलचस्पी रखती । 'अपनी स्वर्गीय 'और यौवनमय मधुरता के कारण केसर ने सब लडकियों के ऊपर स्थान प्राप्त कर लिया था ।. मादम देता था, वह एक प्रतिमा सी है । हाँ; उस प्रतिमा की आँखे जरूर एक गम्भीर व्यथा के भाव से भरी रददतीं । गाजरानी का व्यापार भावुकता की नींव पर नहीं चलता था, यद्यपि वह केसर के और लड़कियों की 'झपेक्ता धिक मानती थी । उसे अपने व्यापार का भी देखना था, व्यापार की सफलता के भी सेंभालना था । यदि काई ऐसी लड़की हो जिसके विषय में , पुरुप अधिक सतक हो, इधर-उधर कालाफूसी करें, तो उससे _ व्यापार में झधिक सफलता की शा है। केसर में राजरानो ये सब बाते पाती थी, अगर सह्दी-सही ट्रनिट्ठ उसे मिले तो वह एक सफल 'आाय का स्रोत हा सकती है । डर (री




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