शिशु हित शिक्षा [खण्ड १] | Shishu Hit Shiksha [Vol. 1]

Shishu Hit Shiksha [Vol. 1] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(पे) दाणजरमरणा चउबीसेंपि जिखुवरा तित्थयरामि पसीयेठु ॥ ४ ॥ |कैत्तिय वंदिय,.महिया जेए लोगस्स उत्तमा सिद्धा जारुगग बोहिलारम सभा हिवरसुक्तमं दिंठ ॥ दे ॥ चन्देख निम्मलयंग घाइच्चेस श्ाहि- ये फ्यासयरा सागरवर युस्वीरा सिद्धां सिद्धि मर दिसन्हें ॥ ७ ॥! ः ॥ अथ' नमोत्युणुं ॥ रा्मात्युय' अरिहंतास भगवन्ताण शघाइररारी तिंव्थगुराणुं सब संबुद्धाणं पुरिसोत्तमाणं पुरिससी हारा पुरिसिवर, पुरुडरीयाशं पुरिसवर गघडर्थीणं लोशत्छुमाण लोगनाहदाणं लोगददीथाणं लोगपई वास लोगपज्को अराराण अभयदयाणुं चुद्खुद- या मर्गदयाणं शरणदयाशं जीवदय।णुं वोही- दयाणुं घम्मदयाणु घम्मदेसियाण 'घर्मतायगाणँ घम्मसारहीणुं घम्मवरचाउरंतचक्ट्रीशी दीवोताणं सरणगढ पहुट्टा झप्पडिहय वरनांशद्सण - घराणुं विधटरुउमाणं जिशाखुं जावयायणुं, तिक्ञाख 'तारः चाय इद्धाख वाहियाणु सुन्नाख माधमार्य सच्च नूण सब्वदरिसिसां शिवमयलमरुध्र मगुंत मगसय




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