जीवन - शोधन १ | Jivansodhan 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
428
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१७
५. सगुण ब्रह्म > झुपासनाके छिग्े जु७०दि
मनुष्यके तीन अचल विद्वास ५७५ श्रेयार्थीकी प्रतीतियाँ
५८-५९ प्रमात्माकी विभूत्तियोंका चिंतन ५९-६२; श्रेयार्थीके योग्य
परमात्माका चित्तन ६९ ।
' ६. सपुण ब्रह्म >> भक्तिके छिअे ६३-६७
परमात्म-चितनके झुद्देदय; झुप्त दृष्टिते परमात्मकि विशेषण
६३-६५; समपेण विचार ६५; परमात्मक्ति भाठम्वनका फल
द.६-६७ ।
७. परमात्माकी साधना -- ६७०७८
“शान, भक्ति भौर क्मकी चर्चाके सात पक्ष ६७-६८; ज्ञान-
मावना-कमैका चक्र ६९-७०; भावनाओंकि अलुशीलनके सम्बन्धों
दो पक्ष : गुणात्मक भक्तिमाग, अवरथात्मक ज्ञानमागे ७०-७२;
भावनाभोंका झुचित रोतिसे भनुशीलन मनुष्यके विक्ासक्रमकी
मेक भनिवाये सीढी; शानसे कम तकका चक्र ७४; भेक चद्रके
खतम होनेपर नये चक्रका आरम्भ ७५; आख़िरमें आत्मस्वरूपका
निदचय, थझुतके बाद तर्वात्मभावी मावनाओोंकी जायति और
तदलुरूप कमेयीग ७६; मिस कमेयोगकी पूणता पर कल्पलीय
नेष्कम्ये या निमुग सिद्धि-सम्बन्धी स्थिति; श्रेयार्थीका कतेव्य मारे
७६५; साचिक ज्ञानकी प्राप्ति: सात्विक भावनाओंका पोषण गौर
कै त्विक काम करनेमें छुशल्ताकी प्राप्ति ७७-७८
अताव्साकी साधना -- २ ७८-८०
है. परमात्मकि साथ अनुसन्थानके कुछ स्थूल प्रकार; जिसके
हमें विचारने जैसी कुछ सामान्य बातें; भेकाकी चिन्तन ७८;
'त्सग, खानगी अनुज्ञीलन, सामाजिक भनुशीलन, प्रत्येक क्रियके
ताथ मनुसन्वान; भेक तथमें श्रद्धा” ७९ ।
श्रद्धायुक्त नास्तिकता ८०-८६
सापनाके. स्यूल प्रकारोंके भुपयोगमें 'विवेककी जरूरत;
काल्पनिक देवी-देवता ८०; भ्रेक भीदवरकी झुपासना -- अनन्याश्रय
८२; मृर्तिके झुपयोगकी मर्यादा; मन्दिर-मतजिद जैसे स्थानोंको
झुपयोगिता व मर्यादा ८३; ज्ञानेरवर द्वारा श्रद्धायुक्त सास्तिकताका
व्णन ८३-८४; मेक ही देवको माननेवालोंकी श्रद्धायुवत नास्तिकता
- झुतकी भूमिका ८४-८६ ।
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