महाप्रज्ञ व्यक्तित्व एवं कृतित्व | Mahapragya Vyaktitav Aur Krititav

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Mahapragya Vyaktitav Aur Krititav by कन्हैयालाल फुलकमर - Kneheyalal Fulkamar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आचाय तुलसी महाप्रज्ञजी को आाशार्वाद देते हुए ् शी गे की व च् दे नम डे न का द कर ही दे पा ध लता एगथ 1 ः * शी सम कि हि ड ् द थ हे || दर कर मे हर जल ह ठ ् £ चर «८ 1 दर हि हज न पे 1 कपल खिस्यरतपमस्मममर चम्यसथे, न दर शक न थ ज्म्मे द न भर कमी. ना मसला अं नशे बागवाँ दिल से चमन को ये ढुआ देता है; में रहूँ या न रहेँ गुलशन तेरा आबाद रहे।




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