जहाँगीर नामा | Jahangeer Nama
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
646
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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शाइजादा सलोम । ११
नाना बच
छाकेके शिकारकौ तर घेर ले शरीर लशकर इतना चाच्यि
कि जब उसके सामने पड़ जावे तो कास पूरा कर सके। दौलत-
खाहींने इसके सिवा जो और कोई सलाह देखो है तो वन्ठेको
ुव्त छोजावे कि सलाम करके अपनों ज्ञागोरमें चला लावें और
वहां इस सुच्दिमका पूरा सासान करके राणाकी जड़ उखाडनेको
रवाना हो क्योकि अभौ वन्देके,सिपादी बहुत टूटे हुए है ।
वादशाउने यह अर्जी पढकर अपनी बदन बखतुब्रिमा वेगसको
सलौमके पास सेजा और यह कह्लाया कि तुम अच्छे सुद्र्में
विदा हुए छो और ज्योतिवो लोग सिलनेको शभघडो नजदीक
दिनोसें नहों बताते है इसलिये अभी तो तुम इलाहाबादकों सिधार
जात्नी फिर जब चाछो खिदसतमें हाजिर छोजाना ।
शाद सलौस यह फरमान पहुंचतैदी मथुरा, ोकर इलाहाबाद
चला गया । वहां छुछ दिनों पीछे खुसरोको सा अपने बेटेके
कपूतपनसे अफौस खाकर सर गई। इससे शाइको बहती रक्त
ुआ बादशाहने यह सुनतेझी फरमान सेज्कर उउको तसन्लौ दो ।
बादशाइने सलोमकों इलाहाबाद जानेको आजा दे तो दो थी
सगर दिलसे उसका दूर रहना नहीं चाहता घा बल्कि उसको इस
टूरीसे बत दुःखौ था। तोभी फसादौ लोग उसका दिल बेजार
करनेके लिये इर रोज कोई न कोई शियगूफा छोड़ा करते थे और
शाकके हमेशा नधेमें रइनेका गिल्ला खेरखाइ को लपेटमि किया करते
थे। इन्हीं दिनों शाइका एक वाकमानवोौस और दो खिट्सतरार
एक दूसरेके इश्क्सें फंसकर सुलतान दानियालकौ पनाऊमें जानेके
लिये सागे थे पर रस्तेसे पकड़े आये । शाध्ने गुस्सेसे वाकिभझा
नवीसकी खाल अपने सामने खिंचवाई एक,खिदमतगारकों खस्ती
करा डाला चौर दूसरेको पिटवाया। इस सजासे उसक्रौ घाक
लोमोंके दिलोंसें बैठ गई चौर सागनेका रस्ता वन छोगया ।
जब स्वार्धों लोगीने इस सासलेको रदूव नमक सिरघ लगाकर
वाटशाइस अरज किया तो वादशाइने वहुतछी नाराज छोकर
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