ग्राम राज | Gram Raj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिंसा से मुक्ति केसे मिले ? झासन के भयकर सघटन के कारण जनता का थोपण होता दे,एतना ही नहीं , वल्कि राज्य के वोक के फारण उसका दसन भी होता है। इसलिए आज की ट्नियां में राज्यव्यवस्था आसयीर्वाद के चदले अभियाप साबित हो रही है । तभी तो हम यासनमुक्त 'ग्रामराज' चाहते है। आज की दुनिया की हालत ऐसी हूं कि बिना घासनमुक्ति के इन्सान को जिन्दगी खतरे में पद गयी हैं । आपमे से बहुत से देहात के भाई काफी पढ़े-लिये होगे। आपको मालम होगा कि जितने पढ़े-लिखे लोग हे वे हर वात में विज्ञान की दुह्ाएं देते है । यहाँ तक कि वे कहते हे कि गाधीजी भले हैं। महात्मा रहे हो, लेकिन वे इस चैज्ञानिक-पयग के आदमी नही थे । वे बहते हे कि उस युग में गाधी की राह चलने लायक नहीं है । उनको राय में गाधीजो इनिया को हजार वर्ष पीछे घसीट से जाना चाहते थे। लेकिन मे आपको दताना चाहता हं कि आऊ का यंग चे्ञानिक-प्रग है इसीलिए याधीजी का जन्म हुआ, तालि ये विान के सकट से मानव-समाज का उद्घार कर सके आप सन में सोचते होगें कि भला विज्ञान कहीं सवट का यारण हो सकता है? विशान ने तो मनप्य की तस्ककी की है । यह ठीफ है कि विज्ञान ने सानव-समाज का बडा कल्याण विया बन




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