श्रीमदभागवत के परिपेक्ष्य में कृष्णकथा का प्रमुख संस्कृत नाटकों में विकास | Srimadbhagwat Ke Pariprekshya Me Krishnakatha Ka Pramukh Sanskrit Natkon Me Vikash

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Srimadbhagwat Ke Pariprekshya Me Krishnakatha Ka Pramukh Sanskrit Natkon Me Vikash by रंजना प्रियदर्शिनी - Ranjana Priydarshani

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थ कर है मी कृष्णा का 1नच्ण्] के साथ सावाल्पीकरण करते है | िलवै- की विष्णु का आठवां अवतार मामते है ए न नामों से जाना जाता है । विष्णु हे सम्बी चित 'किये पिलाद है । उनकी धारणा ए 'कि कृष्ण” उर्वरता कै वैकता' है अत: मोम सम ककि पलिि विकिकेजकों कक परिमिकिकिसकरके ड़ किक फंकिग मकर लिलिएपिस्देपंदिति पतली दस िनडीि्डकिर रस है. जराण्रक्पा ० (१६०८) पुष्ठ १७७ से १७५ | कल्पापि” पुण्ठीी काका गॉधिन्दीं गरुखव्वण: । रा्टल्सी ० (९१६७८) पु १४ ही «पुर १७३ यीर नण्राज्शण्स (९९९५) ५पृ० पहर




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