गुरुकुल पत्रिका ३४ | Gurukul Patrikaa Varshh-34,

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Gurukul Patrikaa Varshh-34, by रामप्रसाद वेदालंकार - Ramprasad Vedalankar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गुरबुल-पत्रिक', १६८२ [हैं उदू रामकथा-- उददं में रामकथा विषयक साहित्य अत्यल्प है । जो है उसका रामकथा की हष्टि से विशेष महत्त्व नहीं है। १४वी शताब्दी की निम्न चार रामकथाएं उल्लेखनीय हैं- मुन्शी जगन्नाथ सुश्तर कृत रामायण सुश्तर मुन्शी शंकरदयाल फहूँत कृत रामायण मंजुम बाकेबिहारी लाल बहार का रामायण बहार सुरजनारायण मेह का रामायण मेहू इस प्रकार राम साहित्य की व्यापकता एवं लोकप्रियता निसन्दिध है ।




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