वैदिक साहित्य में स्त्रियों की दशा | Vadik Sahitya Me Istriyo Ki Dasha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भर
५- माण्डूक्य शाखा के दस भेद हैं- १. बहवृच २. पैड्ग्य ३. उछालक
४. शतेबलाख ५. गज ६. वाष्कलि ७. ऐतरेय <. वशिष्ठ ६. सुलभ
१०. शौनक इस समय मात्र शैशिरीय शाखा ही उपलब्ध है।
(स) २- यजुर्वेद का सामान्य परिचय -
यजुर्वेद के मुख्यतः कई अर्थ हैं- “यजुर्यजते:”, यज्ञ-सम्बन्धी मंत्रों को
यजुष् कहते है ““शेषे यजुःशब्द:” पद्य-बन्ध और गीति से रहित मन्त्रात्मक
रचना को यजुषु कहते हैं। “*“गद्यात्मको यजुः” गत्यात्मक मंत्रों को यजुः
कहते हैं । ““अनियताक्ष्रावसानो यजुः” (अक्षरों की संख्या जिसमें नियत न
हो)। यजुर्वेद में *“अध्वर्यु” की प्रधानता होती है। यजुर्वेद दो शाखाओं में
विभक्त है - १. कृष्ण यजुर्वेद २. शुक्ल यजुर्वेद ।
यजुर्वेदीय शाखाएँ
कृष्ण यजुर्वेदी की ८६ शाखाएँ हैं और शेष १५ शाखाएँ शुक्लयजुर्वेद
की मानी गयी हैं। कृष्णयजुर्वेद की चार शाखाएँ हैं -
१. कठशाखा २. कठकापिष्ठल शाखा ३. मैन्नायपणी शाखा ४. तैत्तिरीय
शाखा |
शुक्लयजुर्वेद की दो शाखाएँ प्राप्त हैं । - १. काण्वशाखा २. माध्यन्दिनीय
शाखा । काण्व-शाखा में ४० अध्याय, २२८ अनुवाक एवं २०८६ मन्त्र हैं।
मध्यन्दिनीय शाखा में ४० अध्याय, ३०३ अनुवाक एवं १६७५ मन्त्र हैं ।
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