वैदिक साहित्य में स्त्रियों की दशा | Vadik Sahitya Me Istriyo Ki Dasha

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Vadik Sahitya Me Istriyo Ki Dasha by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भर ५- माण्डूक्य शाखा के दस भेद हैं- १. बहवृच २. पैड्ग्य ३. उछालक ४. शतेबलाख ५. गज ६. वाष्कलि ७. ऐतरेय <. वशिष्ठ ६. सुलभ १०. शौनक इस समय मात्र शैशिरीय शाखा ही उपलब्ध है। (स) २- यजुर्वेद का सामान्य परिचय - यजुर्वेद के मुख्यतः कई अर्थ हैं- “यजुर्यजते:”, यज्ञ-सम्बन्धी मंत्रों को यजुष्‌ कहते है ““शेषे यजुःशब्द:” पद्य-बन्ध और गीति से रहित मन्त्रात्मक रचना को यजुषु कहते हैं। “*“गद्यात्मको यजुः” गत्यात्मक मंत्रों को यजुः कहते हैं । ““अनियताक्ष्रावसानो यजुः” (अक्षरों की संख्या जिसमें नियत न हो)। यजुर्वेद में *“अध्वर्यु” की प्रधानता होती है। यजुर्वेद दो शाखाओं में विभक्त है - १. कृष्ण यजुर्वेद २. शुक्ल यजुर्वेद । यजुर्वेदीय शाखाएँ कृष्ण यजुर्वेदी की ८६ शाखाएँ हैं और शेष १५ शाखाएँ शुक्लयजुर्वेद की मानी गयी हैं। कृष्णयजुर्वेद की चार शाखाएँ हैं - १. कठशाखा २. कठकापिष्ठल शाखा ३. मैन्नायपणी शाखा ४. तैत्तिरीय शाखा | शुक्लयजुर्वेद की दो शाखाएँ प्राप्त हैं । - १. काण्वशाखा २. माध्यन्दिनीय शाखा । काण्व-शाखा में ४० अध्याय, २२८ अनुवाक एवं २०८६ मन्त्र हैं। मध्यन्दिनीय शाखा में ४० अध्याय, ३०३ अनुवाक एवं १६७५ मन्त्र हैं ।




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