बारहवां वर्ष | Baarhavaan Varsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23 MB
कुल पष्ठ :
304
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कर्मचारियों को प्रशिक्षण देना है जिससे कि उत्पादन में वृद्धि श्र काम करने
के तरीकों में सुधार हो ।
टाइम-स्केल के हिसाब से तरक्की
सेना के श्रधिकारियों को तरक्की करने का श्रवसर मिल सके, इस बात को
ध्यान में रखते हुए टाइम-स्केल से तरक्की की जो प्रणाली अब तक मेजर के
पदाधिकारियों पर लागू थी, उसे लेफ्टिनेंट कर्नल के पदाधिकारियों पर भी लागू
कर दिया गया है। इससे जो श्रधिकारी रिक्त स्थान न होने के कारण चुनाव
(सेलेक्शन ) '्वारा लेफ्टिनेंट कर्नल का पद नहीं पा सकते थे, वे अरब २४ साल
की नौकरी पूरी कर लेने के बाद लेफ्टिनेंट कनल के पद पर नियुक्त कर दिए
जाएंगे, बदातें कि उनका स्वास्थ्य ठीक हो श्रौर उनकी आयु अ्रनिवायं रूप से
रिटायर, होने की भ्रायु से अधिक न हो ।
रिटायर होने की श्राय
अभी कुछ समय पहले तक मेजर शझ्ौर उससे नीचे के भ्रधिकांश पदाधि-
कारियों के भ्रनिवायं रूप से रिटायर होने की झायु ४५ वर्ष थी । अब इस
श्रायु-सीमा को बढ़ा कर ४८ वर्ष कर दिया गया है श्रौर इस नियम को लेफ्टि-
नेंट कर्नल के स्थायी पदाधिकारियों तथा उससे नीचे के पदों पर भी लाग
कर दिया गया हैं । इसके श्रतिरिक्त, श्रार्मी सर्विस कोर, तथा इंटेलीजेन्स कोर
के स्थायी कर्नलों के रिटायर होने की ्रायु ५० वर्ष से बढ़ा कर ५२ वर्ष कर
दी गई है ।
विदेशों में भारतीय सेना की सेवाएं
इस वर्ष लेबनान में संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यवेक्षक दल की सहायता करने के
लिए भार्रत से सदास्त्र सेनाएं भेजने के लिए कहा गया था । इस कार्य के लिए
भारत ने ७१ अधिकारियों को भेजा, जो अपना काम पूरा करके भारत लौट
ग्राए हैं ।
भारतीय सेना की एक टुकड़ी ने मिस्र में संयक्त राप्ट संघीय श्रापात
सना क॑ साथ मिस्र पर इज़राइल के बीच यद्ध-विराम रेखा पर बडी योग्यता-
पूर्वक अपना काम जारी रखा । जेनेवा करार के अ्रन्तर्गत भारतीय सेना की
टुकड़ी को चीन में जो विभिन्न कार्य सौंप गए थे, उन्हे वह बड़ी तत्परता से करती,
रही । परन्तु इस वर्ष, वियतनाम को छोड़ कर, भारतीय सेना की टकडियों
की संख्या काफी घटा दी गई हैं । कम्बोडिया में भारत के बहत कम कर्मचारी
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