पञ्च - पल्लव | Panch Pallav
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about लल्लीप्रसाद पाण्डेय - Lalli Prasad Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सफ्डाफाइ *.. कट
बच्चा सा गया था । मगवानदेई बड़ों सावधानी से
इसका मुँह चूमकर श्र इसे रामदुलारी की गोद में देकर
घर चली गई ।
न
पण्डित गड़वनारायशा कालेज से पैदल ही घर चले झाते
थे, पर झाज किराये की गाड़ी में बैठकर ध्याये हैं। ढाक्र
साइव की दवा से जा थाइ़ा-बहुत झारास हुआ था वच्च शाज
कालेज में तीन घण्ठे तक चिल्लाने से लुप्न हे. गया ।. गाड़ी
से. उत्तरकर वे किसी तरह बंगले में झाये झोार पहेंग पर लेट
रहे । उनके चेहरे-साहरे का देखकर रामदुलारी बहुत हर
गई, डाकूर साहब की उसी दवा का सेवन झरने लगी 1!
पाँच बजे पण्डितिजी को खूब ज़ोर से चुखार चढ़ झाया :
शाम कं बुखार की तेज़ी में वे बेस है राये |
रामटइल ने आकर ध्रदव से. पूछा--सरकार, डाकूर
साइव का ख़बर दे झाई ?
रामदुहारी ने कहा--“ नहीं, भव रहने दे । डाकुर की
कुछ ज़रूरत नहीं ।” बह मन ही मन प्राथेना करने लगी---
“हे माता विन्थ्यवासिनी, सुभ्के तुम्हारे ही चरणों का आासरा
है। जो तुम हमारी ख़बर न छोगी, हम पर दया न.
करागी, हो हमारी कया दशा होगी? झब मैं किसी डाकुर-
नाकुर का से बुलाउँगी । तुम्हीं इनके लिए डाकूर हो |
मेरी चूड़ियों की लाज अब तुम्दारे ही दाथ में है--दुद्दाई
शी ७
User Reviews
No Reviews | Add Yours...