सम्पूर्ण गांधी वाडमय भाग - 67 | Sampurn Gandhi Vadmay Bhag - 67

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आभार इस खण्डकी सामग्रीके लिए हम निम्नलिखित संस्थाओं, व्यितियों, पत्र-पत्रिकाओं तथा पुस्तकोंकि प्रकाश्ककोके आगभारी हैं: संस्थाएं: गांवी स्मारक निधि और संग्रहालय, राष्ट्रीय, अभिलेखागार, नेहरू स्मारक संग्रह्मालय और पुस्तकालय, नई दिल्‍ली; सावरमती आश्रम संरक्षक तथा स्मारक न्यास एवं संग्रहालय, अहमदाबाद, और काशी विद्यापीठ, वाराणसी । व्यक्ति: श्रीमती लीलावती आसर, वम्वई; श्रीमती एफ० मेरी बार, कोट्ट- यिरि; श्री बनारसीछाल बजाज, वाराणसी; श्री वालकृष्ण भावे, उरूलीकांचन; श्रीमती शारदावहन जी० चोखावाला, सुरत; श्री घनइ्यामदास विड़ला, कलकत्ता; श्री नारायण देसाई, वारडोली; श्री वालजी गो० देसाई, पुना; श्री कान्तिलाल गांधी, वम्बई; श्री नारणदास गाँधी, राजकोट; श्री आनन्द तो० हिंगोरानी, इलाहाबाद; श्री डी० सी० झा, नई दिल्‍ली; श्रीमती प्रेमावहन कंटक, सासवड़; श्रीमती लक्ष्मीवहन ना० खरे, अहमदाबाद; श्रीमती मनुबहन एस० मशख्वाला, वम्बई; श्रीमती चम्पावहन मेहता, वम्बई; मीराबहन, आस्ट्रिया; श्री शान्तिकुमार मोरारजी, वम्वई; श्री श्रीघरण नैयर, श्रीमती विजयावहन एम० पंचोली, सनोसरा; श्री मंगलदास पकवासा, वम्बई; श्री पृथ्वीसिंद, लालरू, पंजाब; श्री नारायण जे० सम्पत्त, अहमदाबाद; श्री ए० आर० सेन, कलकत्ता; श्री मुन्नालाल जी० शाह, सेवाग्राम; श्रीमती दारदावहन शाह, सुरेन्द्रनगर; श्री इयामजी सुन्दरदास और श्री सी० ए० तुलपुले, पूना। पत्र-पत्रिकाएँ : ' अमृवाजार पत्रिका”, “' आर्येन पाथ '; बॉम्बे क्रॉनिकल !, ' हुरिजन '; ' हरिजनवन्धु ', ' हुरिजन-सेवक ', ' हिन्दू ', ' हिन्दुस्तान टाइम्स ' और * स्टेट्समैन ' । पुस्तकें : ' वापूकी छायामें मेरे जीवनके सोलह वर्ष, “ वापूकी विराट वत्सलता ', ' बापुना वानें पत्रो, ' बापुना पत्रो-२: सरदार वल्लभभाईने ', ' बापुना पत्रो - ४: सणिवहेन पटेलने, ' बापुना पत्रो - ७: श्री छगनलाल जोशीने', ' वापुनी प्रसादी ', ' बेसिक नेशनल एज्युकेदन ', ' (ए) बंच ऑफ ओल्ड लेट्स ”; ' मध्य प्रदेश और गांघीजी ', ' पाँचवें पुत्रको वापुके आशीर्वाद ; ' पशियन मिस्टिक्स', ' पिलप्रिमेज फॉर पीस' और ' प्रेयसें, प्रेजेज़ एण्ड साम्स ' । अनुसन्वान एवं सन्दर्भ-सम्बन्धी सुविवाओंके लिए सुचना एवं प्रसारण मन्त्राछयका अनुसन्वान और सन्दर्भ विभाग, राष्ट्रीय अमिलेखागार और श्री प्यारेलाल नैयर, नई दिल्‍ली हमारे वन्यवाद के पात्र हूँ । प्रलेखोंकी फोटो-नकल तैयार करने में मदद देने के लिए हम सूचना एवं प्रसारण मन्त्राठयके फोटो-विभाग, नई दिल्‍ली के आभारी हैं। तेरह




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