रवीन्द्रनाथ की कहानियां | Ravindranath Ki Kahaniya
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
394
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)परिचर्य व
जिसका आवेग असहनीय हो जाता है। यह प्रेम अव्यावहारिक पति की वुद्धिह्दीन
अवहेलना से अनजाने ही पल्लवित होता है--एक ऐसे पति की अवहेलना से जो
सर्वथा सम्माननीय हैं, यद्यपि वह कुछ अंतर्मुखी वृत्ति का है। परंपरावादी लोगों
को इस कहानी से धक्का लगा था, किन्तु उसमे 'निषिद्ध' प्रेम का चित्रण ऐसा
संयमितत, ऐसा कोमल, तथा अशुद्धता की लेश-मात्र भी व्यंजना से इतना मुक्त है
कि मर्मज्ञों ने इसका उत्कृष्ट रचना कहकर स्वागत किया था और अब यह कहानी
'क्लासिक' मानी जाती है ।
रासमणि का लड़का शैली के ओज की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। इस कहानी मे
एक सभ्ात परिवार की एक दरिद्र शाखा का अभावो से जूझने का करुण संघर्ष,
उसकी एकमात्र आशा--दु्बत, भावुक तथा अपनी अद्भुत लौह इच्छा वाली
किन्तु साथ ही स्नेहालु माता रासमणि के समान ही दृढ़ इच्छा वाले--कालीपद
की मृत्यु की भयंकर विभी पिका चित्नित है ।
सबुज पत्रन-काल की भव्य कहानियों के न तो पात्र ही ग्रामीण जनता के लोग
रह गए थे, और न उनकी पृष्ठभुमि ही ग्रामीण वंगाल के दृश्यों की रह गई थी ।
उनकी प्रकृति भी वदल गई थी; रवीन्द्रनाथ का मस्तिष्क अब समस्याओं मे उलझ
गया था तथा वे सामाजिक अन्याओों का प्रतिकार करने मे लगे हुए थे । वगाल के
मध्यम वर्ग के घरों में स्त्रियों की दुदंशा से उनको विशेष रूप से क्लेश हुआ गौर
उन्हें भोजपुर्ण प्रभावशाली भाषा मे इन अन्यायों को निर्भीक भाव से प्रकट करने
की प्रेरणा सिली । सन् १९१४ में प्रकाशित स्त्री का पत्र में बड़े प्रशसनीय ढंग से
उनके विचार प्रकट हुए हूँ। पत्नी के रूप में पीड़ा और निराशा के पंद्रह वर्षों ने
यह अनुभव करने में मृणाल की सहायता की कि एक महिला की इतिश्री केवल
पत्नीपन तक ही सीमित नही है। स्वा्थपरता, झूठ और अकथनीय नीचता का
भद्दा वातावरण, जो परिवार के लोगो ने अपने घर में उत्पन्न कर रखा था भर
जिसके विपय में उन्होने यह सहज आशा की थी कि उनकी महिलाएँ उसे स्वाभा-
विक समझकर स्वीकार कर लेगी, अदम्य भावना वाली मृणाल-जैसी महिला के
लिए दम घोंटने वाला था । अन्त मे पारिवारिक जीवन के घृणित कारावास से
जब उसे मुक्त होने का अवसर मिला तो अवर्णनीय हपे और मुक्ति के साथ उसने
अचुभव किया कि मभी भी एक भात्मा है जिसे वह अपनी कह सकती है । अपने
पति को लिखा गया उसका पत्र--यह कहानी पत्र के रूप में ही लिखी गई है--
उसके कभी न लौटने के दृढ़ निश्चय की घोषणा के साथ समाप्त होता हैं। यह पत्र
पुरुष के उन अन्यायो, नीचताओ और निर्द॑यता के सम्पूर्ण इतिहास पर, एक कट
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