एकी आदर्श समत्व योगी | Ek Adarsh Samtatv Yogi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
526
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अभिनन्दन समित्ति के मंत्री की शोर से
मेरा मनस्वी थ्री रामगोपालजी मोहता से १६४७ में तव प्रत्यक्ष परिचय हुआ था
जब मेंने उनके सत्संग में जाना शुरू किया था । मुझे गीता पढ़ने की इच्छा हुई । पूछताछ करने
पर पत्ता चला कि श्रापसे गीता पढ़ी जा सकती है । श्राप गीता के बड़े विद्वानू हैं । बीकानेर में
आप के सम्बन्ध में जो लोकापवाद फला हुआ था उससे श्रघिक सुझे श्रापके सम्बन्ध में कुछ पत्ता
नहीं था । मैने यह समभा कि झ्न्य विद्वानों की तरह मोहुताजी भी वाचक ज्ञानी होंगे । फिर भी
मैने यह सोचकर श्रापके पास जाने का निश्चय कर लिया कि श्रपने को तो गीता पढ़नी है । श्राप
के व्यक्तिगत जीवन से क्या लेना-देना है । मेंने सत्संग में जाना शुरू कर दिया । मुझे यह मालूम
होने मे. श्रघिक समय नहीं लगा कि लोकापवाद सर्वथा निराघार श्रौर मिथ्या था । मोहताजी
की विद्त्ता और व्यक्तिगत जीवन का मुझ पर दिन-पर-दिन गहरा शभ्रप्तर पड़ता गया ।
में कई वार यह सोचता था कि ऐसे वयोबद्ध विद्वानू, श्रनुभवी श्रौर सेवापरायण
महानुभाव का जीवन परिचय लिखा जाना चाहिए, जिससे जनता को मोहताजी के सम्बन्ध में
यथाथे जानकारी मिल सके श्रौर उसका मारगं-दर्दन भी हो सके । नवम्वर, १९६४६ में मेंने अपना
यह विचार मोहताजी से प्रकट किया तो श्रापने यह कहकर मुझे निम्त्तर कर दिया कि मुझे
भ्राउम्वर पसन्द नहीं हैं । दिसम्बर १६४५६ में श्रो कन्हैयालालजी कलयंत्री बीकानेर पधारे श्रौर
उन्होंने कुछ मित्रों से मोहताजी का सावजनिक श्रमिनन्दन करने की चर्चा की । मुझे श्रपने विचार
के लिए कुछ बल मिला; परन्तु मोहताजी को सहमत करना श्रासान नहीं था । फिर भी स्यानीय
सज्जनों की एक झ्रभिनन्दन समिति बनाकर हम लोगों ने इस थारे में चर्चा-वार्ता करनी प्रारम्भ
कर दी । श्रभिनव्दन ग्रन्थ लिखने का निश्चय कर लिया गया । उसके लिए हमारा ध्यान
हिन्दी के घिद्वान लेखक, यशस्वी हिन्दी पथकार श्री सत्यदेवजी विद्यारलकार की झ्रोर गया । वे
मोहताजी को वर्षों से जानते हैं । उनका सहयोग प्राप्त करने में हमें कोई कठिनाई नहीं हुई ।
मोहताजी को श्रभिनन्दन ग्रंथ झ्ौर अभिन्दन समारोह के लिए सहमत करना सम्भव न हो
सका । इसीलिए “एक श्रादर्श संमत्व योगी” नाम से यह प्रंथ तैयार किया गया है श्रौर श्रमिनन्दन
समारोह न करके गीता विज्ञान गोप्टी का झायोजन किया गया । ग्रंथ में गीता के समत्व-योग
का रूप प्रदर्धित करते हुए मोहताजी की जीवनी का उल्लेस यह दिखाने के लिए किया गया है
कि उसका पालन जीवन में कंसे किया जा सकता है 1
मोहताजी के महान जीवन श्रौर विशिप्ट व्यक्तित्व को देखते हुए हमें यह श्रावश्यक
प्रतीत हुप्ना कि हम झपनी समिति को केवल बीकानेर तक सीमित न रखकर अखिल भारतीय
रूप प्रदान करें । इस हेतु से हमने भ्रनेक महानुभावों से समिति के, सदस्य बनने की प्रा्यना की ।
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