श्री लंवेचू दि॰ जैन समाज तथा अन्य जैन समाज का इतिहास | Shri Lanvechu Dee Jain Samaj Tatha Anya Jain Samaj Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
482
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)# श्री ढंबेचू समाजका इतिहास # ....... ११
नल जलप्प्ानाण
इसलिये जिस जातिमें श्री नेमिनाथ स्वामी तीथड्र बलदेव,
बलमद्र तथा महाराज श्रीकृष्णनारायण 'सद्झ उद्धट योद्धा
हुए हों, जिन्होंने संसारमें रहकर बड़े-बड़े संग्रामोमें विजय
पाया और संसारसे विरक्त हो कर्म शत्रुओं पर विजय श्राप
कर सिद्ध पद पाया। उस जाति, उस वंश्षका नाम
लम्बकब्चुक सार्थक नहीं तो कया कहें अवदय ही सार्थक
कहेंगे ॥1३॥।
श्री नेमिनाथ स्वामी तथा कृष्ण बलभद्रसे जगत् प्रसिद्ध
हरिवंज्ञ रूपी समुद्रकों बढ़ानेमें पूर्ण चन्द्रमा समान राजा
लोमकर्ण या लम्बकर्णकी सन्तान होनेसे अथवा लम्बकाश्वन
देशोपाधिसे यह बंध ( ठमेचू जाति ) नाम लम्बकब्चुक
ऐसा प्रसिद्ध होता मया ॥४॥।
जिस श्री शुद्ध क्षत्रिय कुलमें प्रसिद्ध इस संसारमें
यादवींका वंश अभिट्डद्धिको श्राप्त भया और जिस वंझामें
जगतके अधिपति जगलाथ श्री नेमिनाथ भगवान्
उत्पन्न हुए यह यदुवंध ( लंबेचू जाति ) लम्बकज्चुक
वंश बढ़े चिरजीवे चिरंजीव रहे वंश बढ़े अनन्त चिरकाल
जयवन्त रहे ॥श॥।
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