ताल वाद्य शास्त्र एक विवेचन | Taal Vadhya Shastra Ek Vivechan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.64 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)5 का संगोत के ताल वाधों में शीष स्थान था । गुस्से मे सदग पचावज को तोड़ डाला गया होगा तथा तालवादकों बो टबठा वाद्य बजाने को मजबूर किया गया होगा । पद में हो कहा जा चुड़ा है नि मुदग पंवावज के दो मांग करके तबले के उत्पत्ति की कल्पना वरना ही सम नहीं है। 13 वो शदी मे घियासुद्दोन बहन के वरबारी कलावत जिस वाद का उप योग करते थे बसी वाद्य को 14 वी सती मे अट्ताउद्दीन छिलजी के दरबारी कला बती ने सुधारणा करके आज के तबले के स्वरूप को ज म दिया हो यह समव है इसी कार में 13 थो 14 वी सदी तवठे के आकार प्रकार रचना आदि में सुधार हुआ । इस समय तक स्पादो युरत ताल वादा मदग पावज ही मारत वप मे प्रच लित था । तबले पर स्याही छगाना उचे भिन भिन स्वरों के अनुार बनाना नाते स्वर स्थापित करना आदि के तरफ मुगल बादशाहा का तथा सतके दरबारी कला बररों का ध्यान गया हो । परलाउंद्रीन खिलजी वे शासन कॉल इ 1296 से 1316 मे उनके दरबार में अमीर खुपरो नाम के उच्च कोटि के कलाकार थे | इ्होंनि पधिया ईरान अफगान में प्रचलित संगीत को भारतीय संगीत मे गोडने का महूत्वूग कार्य किया । उ होंने मारतीष संगीत मे कई नवीन धाद्यों का शमा वेश क्या तथा नुछ वाद्यों म सुधारणा की मुगल शासकों ने अपने लेखन में अमीर खुपरों की तबठ का अजिष्कारक बताया है । यधपि तबठा इस शब्द का उल्लेय्र प्व में भी मिलता है तथा बतमान में जो बाय प्रचार में है उसको यह रूप देते का श्रेय अमीर सुचरों को ही जाता है। इसको निम्न प्रमाणों के अधघार पर हम स्पष्ट कर सकते हैं -- 1- इस 1266 के पूव के किसी भी भारतीय यथ में तबला इस वाद्य का उस्लेय नहीं है 2... बतमान सकले के स्टहप का उतरेख 13 सदी के अत से ही मिलता है । 3 शमोर खुमरों ते. भारतीय ताली के आधार पर 15 ठेको बा निर्माण किया जिनमे से कुछ ताल मुख्य रूप ऐ तबला वाद्य थे अनुशप ही थे । जिन 15 तालों के ठंके चनाये वे ताल इस प्रकार है 1 बातों झोपहार वस्बाली वासुद फास्ता जत ल्नलद घिताल सवारी भाडवारताल थूमरा भमीर सुर न तबले को बनादट में जो सुधार किया उसके परिशाम स्वत तबछे को वतमान में यह स्थान या दर्जा प्राप्त हो. सका है। तदले को ऊ के स्वर में शाने के लिये पृ वियों के स्थान पर लबडो के गटटे जो सश्या में लाठ होते है दोषों बे नोवे फपप जाने लगे । दोंपे के पुद्ध पर मरी जाति वाछो पुड़ी मे दक्कती के पतले चमदे का उपयोग किया जाने छगा । पुड़ी तीन चमडियों से वस्ते लगी । ऊपरी चमड़ी को रीव से गोलाकार बाटफर सुख पर हमर 1 इच चौडी कितारा रचो जाने लगी ६ पद डॉ को डोदने से लिए हृदोडा का उपयोग किया जाने
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