प्राचीन लेखमाला २ | The Prachina Lekha Mala 2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
384
श्रेणी :
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काशीनाथ शर्मा - Kashinath Sharma
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शिवदत्त शर्मा - Shivdutt Sharma
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ईै४ लेखः]
प्राचीनलेखमाला ।
वीरश्रीरज्ञरायसितिपतिवयस्य कीर्तिघुयंस्थ ।
शासनमिदं सुधीजन कुवलयचन्दस्य भूमहेन्द्रस्य ॥
वीरश्रीरजरायोक्त्या प्राह पौत्र: सभापतिः ।
कामकोटिसुतो रामकविशासनवाब्ययम् ॥।
वीरश्रीरहरायकष्मापतिदेशन सोमनाथाये: ।
शासनमलिखत्कामयतनय:ः श्रीगणपर्यायपोत्रमणि: ॥
दानपालनयोर्मध्ये दानाच्छेयोनुपाठनम् ।
दानात्स्वगमवाप्नोति पालनादच्युतं पदम् ॥
स्वदत्ताद्वियुणं पुण्य॑ परदत्तानुपालनम् ।
परदत्तापहारेण स्वदत्त निष्फ्लें भवेत् ॥
स्वदत्तां परदत्तां वा यो हरेत वर्सुधराम् ।
षष्टि्वषसहस्राणि विष्ठायां जायते क्रिमि: ॥
एंकेव भगिनी लोके सर्वेषामेव भूभुजाम् ।
न भोज्या न करग्राह्मा विप्रदत्ता वसुंघरा ॥
सामान्यो5यं घर्मसेतुरदूपाणां काले काले पाठनीयो भवद्धिः ।
स्वोनेतान्भाविनः पार्थिवेन्द्रान्भूयो भरूयो याचते रामचन्द्र: ॥
(इण्डियन् आण्टिकिरी १३।१५६-१६०)
(६४)
कोटप्रान्तोपलब्धमहाराजदिवगणकारित-
चिवमन्दिरप्रदास्ति: ।
3 नमः शिवाय ।
नमः सकलसंसारसागरोत्तारहेतवे ।
तमोगताीमिसंपातहस्तालम्बाय शंभवे ॥
श्वेतद्वीपानुकारा: कचिद्परमितैरिन्दुपादेः पतद्धि-
निंत्यस्थे: सान्धकारा: कचिदपि निश्ते: फाणियेमेंगि भागे: ।
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