जोशे फ़रहत | Joshe Farhat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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तुम्हारी नज़रका अजब माजरा है।
जफ़ा है, सितम है, क़दर है, बला है ॥
सनम ! तेरे रुख़का जमाल है कुछ ऐसा ।
शफ़्क़ है, सदर हैं, क़मर है, शमा है ॥
कृफ़्स छोड़ तायर न क्यों शाद होवे ।
चमन है, मदक है, फ़िज़ञा है, हवा है ॥
बताऊँ: मैं क््योंकर तेरा दिज्च ज़ालिम।
कदर है, अजल है, क़यामत है, क्या है ॥
लगे क्यों न फ्रहल का दिल इस जहाँगें ।
कि साकी है, सागर है और: दिलसबाहै ॥
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