जोशे फ़रहत | Joshe Farhat

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Joshe Farhat by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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टन: हा”, व कि कर ही रह ७ क कक दरें ह:6:: कक गे डे ठु की डी दर थे है. दो न््डू *र2 रू 2 के मम £ को कर इ>-टिकिध श _* डानृशुल्ुन्दर तुम्हारी नज़रका अजब माजरा है। जफ़ा है, सितम है, क़दर है, बला है ॥ सनम ! तेरे रुख़का जमाल है कुछ ऐसा । शफ़्क़ है, सदर हैं, क़मर है, शमा है ॥ कृफ़्स छोड़ तायर न क्यों शाद होवे । चमन है, मदक है, फ़िज़ञा है, हवा है ॥ बताऊँ: मैं क्‍्योंकर तेरा दिज्च ज़ालिम। कदर है, अजल है, क़यामत है, क्‍या है ॥ लगे क्यों न फ्रहल का दिल इस जहाँगें । कि साकी है, सागर है और: दिलसबाहै ॥




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