गीतादर्शन | Geeta Darshan
श्रेणी : धार्मिक / Religious, हिंदू - Hinduism
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
336
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)वबंक्तब्य 1
का परेड का
सष्रि ्यौर व्वय, घ्यात्मा छोर परमात्मा से सस्वन्ध रखने वाला
समन्न ज्ञान प्राप्त कर लेचा छ्ञानार्जन की पणटाकाए़ा हैं । ब्यकेसा खत
शब्द इतना व्यापक हैं कि ऊडइ़-चेतन, जो कु हमारी ज्ञामेन्द्धियों का
'विपय हैं, सभी का समावेश उस में हो जाता है । तिनके से लेकर
पव्चेत तक, पिपीलका से लेकर विशात्सकाय हाथी तक, तारका सर
'लेकर सूर्य्यमणुडव्ल तक-खभी सृष्टि के अन्तर्गत है । छुद्र से ज्ुद वस्तु
च्झाभी स्वामी ज्ञान पाप करना जब सचुप्य के लिये उसम्सय सता
ट तव इस सारे विन्च का यथा शान कोई के वे पान कर सकता है ।
पर उसकी प्राप्ति के लिये घयल करना ही मजुप्य-जन्स की सार्थकता
है ।. क्योंकि ईश्वर श्ञानसय है बोर सजुप्य इंश्वरही का छण है । सचुप्य
ही क्यों; जहां जहां कान का सश--नचादहे दितना ही अच्प क्यों न हो-
पाया जाता हैं चर्दा चर्हा स्र्चन, ईशवरसंश व; घारिवित्व खसस्सना चवाहिप्ए।
ब्यतपुव घ्यपपते ज्ञानोद्धच के कारण ब्यथवा ब्याक्रर, क्ञानेरूपी जगदीशबर:
च्ही पहचान के लिए--उस में ब्पनी झात्सा के लय के लिए--नचेम्म
करना सचुप्य का सब से चड़ा कर्तव्य है ।
प्टि-स्थिति आदि के नियम सखमस्प्ने आर उन के द्वारा स्नप्टा
च्छे ब्यर्तित्व वही सावना इत्पट्ल पर घ्यद्धिति करने के लिप ज्ञान-प्राति
के सिया घर कोई साधन नहीं । पररूंति के ं में दानवानों को
ब्लदा एकसी संत्थता का बदुमत होता है। ज्ञाद च्यीर सत्य प्रायः पय्यीय-
चाची शब्द हैं। कवोंकि घाछतिक सलियसों से सत्य का झजुसव होना दी
ज्ञान का घ्यनुमव कहाजाता है 1 चात यह है दि सत्य की उपलब्धि ही
User Reviews
No Reviews | Add Yours...