समाजवाद और कम्युनिज्म | Samajvad Aur Communism

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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समाज-व्यवस्था के उदाहरण द्वारा , कम्युनिज्म के लिए हमारी जनता तथा उसके हिरावल दस्ते , गौरवशाली कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा किए गए शानदार संघर्ष के उदाहरण द्वारा प्रदर्शित करता है। ( कम्युनिस्ट निर्माण के कार्यक्रम की पूर्ति के लिए परती भूमि-विकास का महत्व। त्सेलीनोग्राद से २२ नवम्वर १९६१ को हुए कजाखस्तान के छृषि-कार्येकरत्ताओ के सम्मेलन मे किया गया भाषण। ' सोवियत सघ मे कम्युनिज्म का निर्माण और खेतीबारी का विकास” शीर्षक सग्रह, खंड ६। मास्को , “ गोस्पोलीतइज्दातत * प्रकाशन गृह ; १९६३, पृष्ठ १२५-१२६) पूजीवादी कहते हैं कि केवल वही व्यवस्था प्रगति करने मे समर्थ है जो स्वतत्र उद्यम -कहना चाहिए कि “जनता के स्वतत्न शोषण ” - की सुविधाएं प्रस्तुत करती हैं। पूजीवादियों का दावा है कि अर्थ-व्यवस्था , सस्कृति ; विज्ञान तथा कलाओ की मुख्य प्रेरणा-शक्ति व्यापार या मु्ताफा है। अमेरिका को उदाहरण-स्वरूप पेश करते हुए वे यह सिद्ध करने की कोशिश करते है कि मानवता की प्रगति केवल स्वतत्र उद्यम के , श्र्थातु लाखो-लाखो मेहनतकश लोगो के शोषण की आजादी के रास्ते ही उपलब्ध की जा सकती है। दूसरी तरफ, महान माक्संवादी-लेनिनवादी शिक्षा के आधार पर, समाजवादी निर्माण के अनुभव के आधार पर हम कम्युलिस्ट लोगो का कहना है कि नहीं, पूजीवादी सज्जनो , समाज की सच्ची प्रगति की जमानत केवल वहीं व्यवस्था करती है जो जनता को पूजीवादी गुलामी से आजाद करती है; जवकि श्रमिक लोग खुद अपने उत्पादन के मालिक होते है, जबकि उत्पादन के साधन मुट्ठी भर शोषको के बजाए शआ्रालीजाह मजदूर वरगें के हाथो से , मेहनतकशों के हाथो मे झा जाते है। दर-अझसल ऐसी ही व्यवस्था हर व्यक्ति की और पूरे समाज की क्षमतात्रो को उद्घाटिति करती है। इस श्राजाद समाजवादी समाज के श्राजाद मेहनतकश लोगो मे चमत्कार करने और मानवता के उज्ज्वल भविप्य- कस्युनिज्म - का पथ प्रशस्त करने की क्षमता है। माक्स, एगेल्स भर लेनिन के इस




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