श्रीमद स्वामी तुलसी करात सोडास रामायण संग्रह | Shri Madh Swami Tulsi Karat Sodas Ramayan Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
34 MB
कुल पष्ठ :
429
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| श्रीवरव[रामायण । (१० के श्रीवरवारामायण। (११)
प्रभाव ॥ उठटा जपत कोठते भए कषिराव ॥ «४ ॥ कठशायों-
जिय जानेउ नाम प्रताप ॥ कोठुक सागर सोखेउ करि जिय
जाएु ॥ ५८५ ॥ तुख्सी सुमिरत राम सुरुम फठचारि ॥ वेद पुराण
पुकारत कहत पुरारि ॥ ५६ ॥ रामनामपर तुढ्सी नेदनिवाहु ॥ |
एडिते अधिक न एहिसम जीवनठाहु ॥ ५७ ॥ दोषदुरित दुखदा-
रिद दाहक नाम ॥ सकल सुमंगलदायक तुढ्सीराम ॥ ५८ ॥
केहिंगनती महूँ गनती जस वन घास॥राम जपत भर तुछ्सी तुठ्सी
दास ॥ ५९ ॥ आगम निगम पुराण कहत करिलीक ॥ तुठ्सी ना-
म राम कर सुमिरणनीक ॥ ६० ॥ सुमिरहु नाम राम कर सेव
साधु ॥ तुठ्सी उतरि जाहु भव उद्धघि अगाधु ॥%१॥ कामपेनु हन
रिनाम कामतरु राम॥तुर्सी सुठूभ चारि फल सुमिरत नाम द२॥
तुरुसी कहत सुनत सब समुझत कोय॥वड़े भाग्य अवुराग राम सन
दोय ॥ ६३ ॥ एकहि एक सिखावत जपत न आप ॥ तुठ्सी रा-
म प्रेमकर दाधकपाप ॥ ६४ ॥ मरत कहत सब सब कहेँ सुमिरहु
राम ॥ तुलसी अब नाहिं जपत समुझि परिणाम ॥ ६८ ॥ तुठ्सी
रापनाम जपु आलस छोड ॥राम विमुख कठिकाठकों भयो न भौंड
(| दुद तुठुप्ती राम नाम सम मित्र न आन॥जो पहुँचाव रामपुर
तनु अवसान॥६७॥ नाम भरोस नाम वल नाम सनेहु ॥ जनम जनम
रघुनंदन तुरसिद्टि देहु ॥६८॥ जनम जनम जहूँ जहँ तन तुठ्सि
हि देहु ॥ तहूँ तहूँ राम निवाहिव नाम सनेहु ॥ दु९ ॥
इति श्री गोसौंड तु्सीदासजी विरचित बरबे रामायण
उत्तर कांड समातः ॥
इति बरवारामायण समाप्त ।
लववलातववालाकि कि
लकलमवतवकानावक
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