श्रीमद स्वामी तुलसी करात सोडास रामायण संग्रह | Shri Madh Swami Tulsi Karat Sodas Ramayan Sangrah

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Shri Madh Swami Tulsi Karat Sodas Ramayan Sangrah by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| श्रीवरव[रामायण । (१० के श्रीवरवारामायण। (११) प्रभाव ॥ उठटा जपत कोठते भए कषिराव ॥ «४ ॥ कठशायों- जिय जानेउ नाम प्रताप ॥ कोठुक सागर सोखेउ करि जिय जाएु ॥ ५८५ ॥ तुख्सी सुमिरत राम सुरुम फठचारि ॥ वेद पुराण पुकारत कहत पुरारि ॥ ५६ ॥ रामनामपर तुढ्सी नेदनिवाहु ॥ | एडिते अधिक न एहिसम जीवनठाहु ॥ ५७ ॥ दोषदुरित दुखदा- रिद दाहक नाम ॥ सकल सुमंगलदायक तुढ्सीराम ॥ ५८ ॥ केहिंगनती महूँ गनती जस वन घास॥राम जपत भर तुछ्सी तुठ्सी दास ॥ ५९ ॥ आगम निगम पुराण कहत करिलीक ॥ तुठ्सी ना- म राम कर सुमिरणनीक ॥ ६० ॥ सुमिरहु नाम राम कर सेव साधु ॥ तुठ्सी उतरि जाहु भव उद्धघि अगाधु ॥%१॥ कामपेनु हन रिनाम कामतरु राम॥तुर्सी सुठूभ चारि फल सुमिरत नाम द२॥ तुरुसी कहत सुनत सब समुझत कोय॥वड़े भाग्य अवुराग राम सन दोय ॥ ६३ ॥ एकहि एक सिखावत जपत न आप ॥ तुठ्सी रा- म प्रेमकर दाधकपाप ॥ ६४ ॥ मरत कहत सब सब कहेँ सुमिरहु राम ॥ तुलसी अब नाहिं जपत समुझि परिणाम ॥ ६८ ॥ तुठ्सी रापनाम जपु आलस छोड ॥राम विमुख कठिकाठकों भयो न भौंड (| दुद तुठुप्ती राम नाम सम मित्र न आन॥जो पहुँचाव रामपुर तनु अवसान॥६७॥ नाम भरोस नाम वल नाम सनेहु ॥ जनम जनम रघुनंदन तुरसिद्टि देहु ॥६८॥ जनम जनम जहूँ जहँ तन तुठ्सि हि देहु ॥ तहूँ तहूँ राम निवाहिव नाम सनेहु ॥ दु९ ॥ इति श्री गोसौंड तु्सीदासजी विरचित बरबे रामायण उत्तर कांड समातः ॥ इति बरवारामायण समाप्त । लववलातववालाकि कि लकलमवतवकानावक




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