क्वासि | Kvasi

Kvasi  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्ट मुके नितान्त बॉ जैंचती है। पक्षावलस्थरी साहित्य में यदि सन्तुलन, संयस; यधार्थ-दुर्शन का श्रभाव इुश्ना तो वद्द साहित्य साहित्य न होकर चानचा का सुरब्बा बन जायगा । श्र, यदि कद्दी उससे ध्रघःपातक सनोविकारों का पुट घ्या गया लो हिन्दी साषी सानव कढाचित्‌ दानव बनकर रह जायगा । 'तः पक्तावलम्वी साहित्य निर्माण में हसे विशेष सावधानी चरतनी घाहिए फिसी भी साहित्य खरष्टा की कृतियो, यदि वे सानव को ऊंचे उठाने- वाली हैं, तो श्रमर होंगी । श्वन्यथा वे क्षण-स्थायी होंगी । साहित्य सृजन करने वाले सें किन-किन गुणों का होना श्रावश्यक है ? इस प्रश्न का उत्तर किचित किन है । मिन्‍्न-सिन्‍न रूप से विचार करने वाले जन इसका उत्तर भिन्न-भिन्न रूप से देंगे। मेरे मत में सादित्यत्रष्टा के लिए इन गुणों को प्राप्त करना नितान्त घावश्यक हैं १, स्वाध्याय, २. करपना-शक्ति, ३६, शब्द-सामथ्यं, ४. मानव-स्वभाव-ध्रध्ययन, ४. यथातथ्य-गप्राह ( 6710 ०० पप्प्त801610815 ) ६, कला-सौप्ठद , ७. स्थिति-सजन-शक्ति ( ?०फ़टा 10 0८816 511ए811070 ) प. जीवन-चित्रण-साम्थ्य, 8. समाधि-सामध्य ( ?०फ७1 0 01601080100 है १०, '्ाजव-इसानदुरी ( ००८४६ ) जिस साहित्यकार में ये गुण होंगे उसकी कृतियों में वे रघभावतः दी सलक उरटेगे। निवेदन यह है कि सादित्यिक कृतियों की श्ालोचना करते समय हमें इन मानद्रुडों के श्राश्रय से चलना चाहिए। साथ ही हमें यद भी न भूलना चाहिए कि प्रत्येक देश की कुछ विचार-विशेषताएँ होती हैं । उनको ध्यान में रखे बिना, उस देश के साहित्य, उर्स देश की कला, 'बादि के सम्बन्ध में यदि मत-प्रदर्शन किया जाय तो चहद एक श्रशुद्ध बात होगी । किसी देश के साहित्य की घालोचना उस देश के गुण-विशेष की श्योर दक्पात किये बिना की हो का जा सकती । एक देश की सादिस्यिक कृतियों पर मनमाने, 'अघकचरे, उच्छिप्ट भालोंचना-सिद्धान्तों फो श्रारोपित करना उपददासास्पद दे। स्वयं न दारशनिक देश-विशेष की राष्ट्रीय विशेषत्ताश्यों को स्वीकार कर चुके हैं।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now