हमारे प्रसिद्द तीर्थस्थान | Hamaare Prasiddha Tiirthasthaan

Hamaare  Prasiddh  Tiirthasthaan by पोलि विजयराघव रेड्डी

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इ. पांडुरंगा राव - I. Panduranga Rao

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विजयराघव रेड्डी - Vijay Raghav Reddy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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5. गंगा और प्रयाग गंगा स्नान तथा गया में श्राद्ध ये हिंदुओं के कर्मकांड में प्रमुख माने गए हैं। गंगा स्नान के लिए गए हुए भक्त काशी जाकर विष्णुपाद में पिंड प्रदान जरूर करते हैं। समय के साथ-साथ ये दोनों क्षेत्र काशी और गया बौद्ध धर्मावलंबियों के भी पवित्र तीर्थस्थल बन गए हैं । काशी के समीप सारनाथ तथा गया के समीप बुद्ध बोध गया संसार के सभी बौद्ध धर्मावलंबियों द्वारा दर्शन करने वाले पुण्यक्षेत्र हैं। इनके अतिरिक्त बुद्ध भगवान का जन्मस्थान लुम्बिनी नेपाल निर्वाण की प्राप्ति का स्थल कुशिनगर गोरखपुर भी बौद्ध धर्म के लोगों के पुण्यक्षेत्र हैं। बुद्धावतार श्री विष्णु भगवान के अवतारों में एक है। इसलिए यह क्षेत्र हिंदुओं का भी पुण्यक्षेत्र है। कहा जाता है कि गौतमबुद्ध ने सिद्धार्थ की अवस्था में ही अक्षयवट के नीचे अपनी तपस्या आरंभ कर इसे अपनी तपस्या का स्थान बना लिया । कुछ भी कहो काशी एवं गया-दोनों हिंदू और बौद्ध दोनों धर्मावलंबियों के लिए समान रूप से पुण्यक्षेत्र हैं । मुख्य रूप से पितृकर्म के लिए विख्यात होने पर भी गया की चर्चा अग्नि गरुड़ वायु पुराणों में विस्तार से देखने को मिलती है। त्रिपुरासुर का बेटा गयासुर इस क्षेत्र का मूल पुरुष कहलाता है। वह विष्णु भगवान का कट्टर भक्त था। उसे देखने मात्र से लोगों को मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती थी । उसकी महिमा को देख देवता भी ईर्ष्या से जल उठते थे। अंत में इन्हीं के कारण गयासुर




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