आचार्य श्री तुलसी के अमर सन्देश | Acharya Tulsi Ke Amar Sandesh

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Acharya Tulsi Ke Amar Sandesh by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संघर्ष कंसे मिटे ? युद कैसे टले ? ज़बसे में दिल्ली आया हूं; तचसे महीनेमें ३० दिन नहीं तो छगभग २५ दिन मेरे सामने यद्द प्रभ आया होगा कि यह संघर्ष केसे मिरे 7 युद्ध कैसे दे ? इसीलिए मेने इस वक्तव्यका शीपक भी यही रखा है कि संघप केसे मिरटे ? पँँजी बनाम श्रम हे कक आजका संघप पूँजी और श्रमका संघर्ष दे । लोग कहते है पैजीकां प्रतिनिधि अमेरिका हू. आर श्रसका श्तिनिधि है रूम । यह भी जनताकी धारणा दं। मेरी धारणा इससे भिन्न है । मेरा सिद्धात कुछ और ह । राष्ट्रीय पूँजी संपद भी उतना ही घुरा हे; जितना व्यक्तिगत ।. आजका अर्धिक 'ढाचा विपमत्तामुलक टू | यह दृष्टि समाज तक दी सीमित फ्यों ? राष्ट्रों तक फ्यों नहीं पहुँचती ? जीवन-निर्वाइके ठिए पूँजी भावश्यक होती हु किम्तु




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