भारतीय शासन और राजनीति के सौ वर्ष | Bharatiya Shasan Aur Rajneeti Ke Sau Varsh

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Bharatiya Shasan Aur Rajneeti Ke Sau Varsh by सुशील चन्द्र सिंह - Susheel Chandra Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श् मारतीय शासन घौर राजनीति के सौ वर्ष के लिये नियम, उपनियम ग्रौर श्रध्यादेश जारी करने का श्धियार था । इस झधियार द्वारा मारत सरवार की नियम बनाते वी दा क्ति वा श्रारम्न टुभा । इस प्रकार वे सेव नियमीं की रजिस्ट्री सुप्रीम वोट में होती थी ६ सुप्रीम वोट दें स्वीरार या श्रस्वी- कार नर सबती थी । दो वर्ष के सीतर कोई सी नियम सम्ाट को परिषद्‌ द्वारा रद किया जा सवा था । इस श्रथिनियम वे झन्तर्यत वलवत्ते से शव सुप्रीम कोट की स्थापना हुई । इस न्यायासय में एव चीफ जम्टिन श्रौर तीन श्रन्य न्यायाधीद होते थे । इन न्यायाधीसों की नियुक्ति सम्राट दारा होती थी । ये न्यायाधीग पाच वर्ष के श्रनूमव प्राप्त बेरिस्टर होने ये श्र सम्राट की इच्छा पर अपने पद पर रह सकते ये । न्यायाधीर्सों को श्रम '्रारधीन श्रधिवारियों को नियुक्त वरने वा श्रधिकार था । ए० वी कीथ मे अ्तुसार इस न्यायालय वा शेबाधिकार वहुठ श्रधिक व्यापव या ॥ यह स्पायालय वम्तनी के सब मारतीय क्षेत्रों में दोवानी, फीनदारी, नौ सेना सम्बन्धी श्रौर धामिर' विषयों वी सुनवाई कर सकती थी । वस्पनी के बर्मचारियीं श्रौर ब्रिटिग जनता पर इसका क्षेत्राधिकार था । सुप्रीम कोर्ट के निर्षयी के विर्द्ध श्रपीरलें सम्राट की परिपदू में जादी थी 1 महारास्वपाल, उसकी परिपद्‌ के सदस्यों और सुप्रीम बो्ट के जजों वो श्रच्छा वेचन मिलता था 1 वम्पनी के कर्मचारियों को घूस लैला निधिद्ध था । वे मेंट भी स्वीकार नहीं वर सकते थे । रन्द्दे लिजी व्यापार करने वा सी श्रधिवार सही था । कम्पनी मे शासन को सुघारते को दृष्टि से ही इस श्रकार के प्रवस्ध लगाये गये 1 वो श्राफ डायरेटमस के सयदन में भी पर्वत किया गया । चौबीस डायरेवटर प्रतिवर्ष चुनने के स्यान पर छ. डायरेयटर श्रतिवर्ष चने जाते थे । मौर ये चार वर्ष तक श्रपने पद पर रहते थे श्र एक वर्ष सके वे फिर चुने नही जा सकते थे । मत देने वा घधिवपर बदल उन्हीं घेपर होल्डरों को दिया गया. जिनके पास प्रतिवर्ष एक हजार पॉद का स्टाद होता था 1 इस प्रतिदस्थ दे परिधासस्वस्प है२४६ छोटे डोयर होत्डर मन देने से वचिठ रखे सये 1 परन्तु इसका वास्तविक प्रमाव कुछ नहीं पढ़ा । तीन हजार पीड का स्टाक रखने वालों को दो संत दिये गये । छ. हटार पौंड बा सखक रगदन दे व सन पंत 'पोर दल इडपर पड बाई स्टप परने दाल, को चार मत दिये गये । सारत से सटे टूए कर्मबारियों वे पास श्रधिक धन होता था इसलिये उन्दोंन इन परिवेनों का पूरा लाभ उठाया 1 १७३३ के घ्रम्रितियम में कुठ ऐसे उपवस् सी रखे सये जिसके कारण वस्यती वे दास में झवदय ही सुपार हो से 1 डिसी थी ब्रिटिया मजा को १२%, से श्रपिक ब्याज पर ऋण लेने वा धधिवार नहीं था। यदि कम्पनी वे कर्मचारी नियम मे है. रू, एल, भमवात, सेसनत मूव्सेन्ट पद कलरटीट्ररत दयदपसेस्ट अर उदिइया इुष्ड हर |




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