मध्ययुगीन हिन्दी कृष्ण भक्तिधारा और चैतन्य सम्प्रदाय | Madhyaugin Hindi Krishna Bhaktidhara Aur chaitany Sampraday
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
435
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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वितकंनलानि ३४१, स्मृति-यास-कट्ता ३४३, प्रेम-विवशता २४४]
पुररमिलन देश । द्
छध्यायं ८: कि पर दि कि यू + लि के का कि क्र कप पु०.३४४६-रेपप
“कला-पक्ष
.. शंली-ारूपान शैली और उसके छन्द ३४६--पयार, चोपाई-वौपई,
बोवोला ३५०, चौपाई-दोह्ा-सरवया ३४५१, रोला-दोहा ३४५१, दोंद्वा
३५२, दोहा-सोरठा, अरिल्ल-कुण्ड लिया ३४३, फवित्त-सरवया ३५३,
दोहा का सुतन प्रयोग ३५४, पदर्शली : (बंगला) अक्षर वृत्त-पयार
३४५४; एकावली-आठ अक्षरी ३५६, दस अक्षरी 3४५६, एकादश
अदारी रेश६; ध्रिपदी छवब्वीस अक्षर की दीघं भिपदी ३५६, वीस
अक्षर की लघु घरिपदी ३५६, माशिक छत्द ३४५४५; चतुष्पदी झाठ-
बारह-सोलह मात्रा रे५७, विपम चतुष्पदी--वारहे-सोलह मात्रा
३४५७, श्रिपदी--अदुठाइस माया 3५८, पच्चीस मात्रा ३५५८, तेईस
मात्रा रे५८, दीप चतुष्पदी--संतालिस मात्रा ३५८, एक्यावन
माथा ३४९, तोमर ३५९, हरिगीतिका ३४५९, पदपदाकुलक ३४५९,
हिन्दी : मात्रिक छन्द ३५६, विष्णु पद ३६०, सार-सरसी ३६०,
ताटखू २६३, कुण्डल-उड़ियाना ३६३, रूपमाला-शोभन ३६३,
समान सवेया ३६४, विनय र६४, विजया ३६४५, श्रिपदी 9६४,
वर्णवृत्त-भनहरण ३६६; मुक्तक शेली--दोहा ३६६, छप्पय २६७,
कुण्हलिया ३६७, कविस २६७, सवया ३६७; अलख्ार-विधान :
दाब्दालस्ार-अनुप्रास ३६८, पुनरक्ति-प्रकादा ३७०, मनुकरणात्मकता
दे७१; अर्थालख्ार--उपमा ३७२, रूपक ३७३, रूपकातिदायोक्ति
३७४, उठ्प्रेक्ा २७५, प्रतीप-व्यतिरिक ३५६, सर्देह--अपछुति ३७८,
सत्युक्ति ३७६, भाषा ३७९६--संस्कृतनिंष्ठ म्रजभाषा शेप०,
राजस्थावी ३८०, गुजराती रेप है; पप्नावी २५१, उर्चू ३०१, स्ज-
भाषा-सजबुलिका साम्य ३८१--पद ३८२, वचन ३८३, सर्वेनाम---
अस्मदू इंद४, युष्मदू-तद् ३०४, यदू ३८६, कौन रेप ६, कोई ३८६;
कारक र८६, प्रत्यय-अत् ३०७, भये ३८७, इ रेष७, एनऐ रेप,
द्प्ये पे८प ओ-भी ३८५८ ।
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