शुक्ल रामायन ३ | Shukl Ramayan 3

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Shukl Ramayan 3 by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| रे | मात पुत्र ने रामचद्र की सेवा. खूच , बजाई है | हम रहें बने चाकर इनके सब के दिल यही समाई है ॥। दोहा--श्रौदार वित्त ने कर दिया, दूजे का उद्धार | झ्र सीता का भी झुझ्ा दिल पर दुख सवार ॥। चेक-इस तरफ राम को सीता बिन, खाना पीना नहीं भाता था | उस तरफ लक मे रावण भी, वेदेही का गुण गाता था ॥ अरब सुनो दाता किप्किन्धा का, जहां नया साजरा श्र हुश्रा | ्रसती नकली दो खुश्नीवों क रियासत भर में शोर दथ्मा ॥ दो हा--रूप धरा खुन्नीव का, सखद्दसगति ने झान | पार कफद्दो केसे पढ़े, दो खांडे इझ स्यान ॥ चे[क-चिज्रांग भ्रूप का राजकुंवर, जो सद्दस्गति कदलाता था 1 ज्वहानसिंद की पुत्री तारा को, तन मभ से चाइता था । सदसगति की ज्योतिपियों ने, स्वव्पायु चतलाई थी 1 इस कारण ज्योतिप पुरपति ने, खुब्नीव नरेश को ब्याही थी ॥




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