शुक्ल रामायन ३ | Shukl Ramayan 3
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
414
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| रे |
मात पुत्र ने रामचद्र की
सेवा. खूच , बजाई है |
हम रहें बने चाकर इनके
सब के दिल यही समाई है ॥।
दोहा--श्रौदार वित्त ने कर दिया, दूजे का उद्धार |
झ्र सीता का भी झुझ्ा दिल पर दुख सवार ॥।
चेक-इस तरफ राम को सीता बिन,
खाना पीना नहीं भाता था |
उस तरफ लक मे रावण भी,
वेदेही का गुण गाता था ॥
अरब सुनो दाता किप्किन्धा का,
जहां नया साजरा श्र हुश्रा |
्रसती नकली दो खुश्नीवों क
रियासत भर में शोर दथ्मा ॥
दो हा--रूप धरा खुन्नीव का, सखद्दसगति ने झान |
पार कफद्दो केसे पढ़े, दो खांडे इझ स्यान ॥
चे[क-चिज्रांग भ्रूप का राजकुंवर,
जो सद्दस्गति कदलाता था 1
ज्वहानसिंद की पुत्री तारा को,
तन मभ से चाइता था ।
सदसगति की ज्योतिपियों ने,
स्वव्पायु चतलाई थी 1
इस कारण ज्योतिप पुरपति ने,
खुब्नीव नरेश को ब्याही थी ॥
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