संस्कृत महाकाव्य की परम्परा भाग - 8 | Sanskrit Mahakavya Ki Parampara Bhag - 8
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
562
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(१४ )
साहित्य-आर्ष महाकाब्य का स्वरूप-विद्ग्घ मदाकाव्य की ब्युश्पत्ति-आार्ष
महाकाब्यों-रामायण-महाभारत का महर्व-आर्ष काव्य की विशेषतायें-वीर-
काव्येतर आसधान-महाकाव्य की विषय सामप्री-व कथानक रूढ़ियाँ ।
चतुथे अध्याय-- १२७-१४६
विदुग्ध सहाका्ब्यों का स्वरूप विकास-महाकाब्य शब्द की ब्युत्पत्ति और
सर्वप्रथम उसका प्रयोग-लकच्णग्रत्थों में महाकाष्य का स्वरूप-भामह-काव्यालक्वा-
र-दण्डी-काष्याद श-रुद्रट-काब्याछक्वार-विद्या नाथ-प्रतापरुद्य शो भूषण-हेमचंड-
काब्यानुशासन-आनन्द्वर्धन-ध्वन्याकोक-कुन्तक-वक्रो क्तिजीव्तिसू-जाचायं-
विश्वनाथ-साहित्यदुपंण-मद्दाकाव्य के तश्व-कथानक-अवान्तर कथायें कथा के तीन
प्रकार-उत्पाद्य, अनुस्पाथय और मिश्र । नाटकसन्धघियाँ-चरिन्र-नायक-प्रतिनायक-
अन्य पात्र-वस्तुष्या पार और परिस्थिति वर्णन-अलौकिक और अतिप्राकृत तरव-
छन्द अऊकार-भाषा रेली-रूपसंघटन-प्राचीन शानवर्णन-पाण्डित्यप्रदशन और
वस्तुविवरण-रस और भावग्यजना-उद्देश्य-महाकाव्य रखियिता का वेशिष्ठ्य-
महाकवि ।
पश्चम अध्याय-- १६८-१६४
(क) विकसनदील आर काव्य-रामायण और महाभारत-मूलघटना ये
उपकथायें-विकास की अवस्थायें-वीरयुग की रचनायें-भावपक्ष और कलापक्ष,
रामायण महाभारत का परवत्तीं काब्यों पर प्रभाव, संस्कृत विद्ग्ध महाकाध्यों
का आधार--
(ख) कालिदास के पूर्ववर्ती कदि और काव्य-पाणिनि-'जास्बचती जय'
पाताल विजय-ब्याडि 'बालचरित' वररुखि कात्यायन स्वर्गारोहण, पतज़लि
द्वारा उदू्त श्ढोक या. शो करवण्ड-शिरनार का शिछाउेख-अश्वघोष-बुद्धचरित
सौन्दरनन्द-माठतृचेट बौद्ध अवदान-हरिपषेग प्रयागस्थ-शिछास्तस्म-भास-सौ मिन्न-
कविपुत्र वाकाटक दिदाकर सेन-प्रवरसेन-सेतुखन्घ सवबसेन दरिविजय 1
षप अध्याय-- १६ ४-१३८५८
संस्कृत ( विदग्घ ) महाकाव्य के प्रेरकतत्व-साहित्य और संस्कृति
संस्क्ति-कवि और कृति-राजाश्रय-घर्माश्रय-स्सृत्यनुमोद्ित चर्णाश्रम पदति-
दशिनिक-चिन्तन, राजनीतिक-चिन्तन-नागरिक जीवन, कविज्ञीवन, सहदय-
कछात्मक-मान्यता-प्रकृति-वर्णन का... परपरावादी. इष्टिकोण-कविशिका-
भू कवि समय ) कास्यार्थयोनियां-साहित्यककषण प्रस्थों का प्रभाव ।
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