संस्कृत महाकाव्य की परम्परा भाग - 8 | Sanskrit Mahakavya Ki Parampara Bhag - 8

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Sanskrit Mahakavya Ki Parampara Bhag - 8  by केशवराय मुसलगांवकर - Keshavaray Musalaganvakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१४ ) साहित्य-आर्ष महाकाब्य का स्वरूप-विद्ग्घ मदाकाव्य की ब्युश्पत्ति-आार्ष महाकाब्यों-रामायण-महाभारत का महर्व-आर्ष काव्य की विशेषतायें-वीर- काव्येतर आसधान-महाकाव्य की विषय सामप्री-व कथानक रूढ़ियाँ । चतुथे अध्याय-- १२७-१४६ विदुग्ध सहाका्ब्यों का स्वरूप विकास-महाकाब्य शब्द की ब्युत्पत्ति और सर्वप्रथम उसका प्रयोग-लकच्णग्रत्थों में महाकाष्य का स्वरूप-भामह-काव्यालक्वा- र-दण्डी-काष्याद श-रुद्रट-काब्याछक्वार-विद्या नाथ-प्रतापरुद्य शो भूषण-हेमचंड- काब्यानुशासन-आनन्द्वर्धन-ध्वन्याकोक-कुन्तक-वक्रो क्तिजीव्तिसू-जाचायं- विश्वनाथ-साहित्यदुपंण-मद्दाकाव्य के तश्व-कथानक-अवान्तर कथायें कथा के तीन प्रकार-उत्पाद्य, अनुस्पाथय और मिश्र । नाटकसन्धघियाँ-चरिन्र-नायक-प्रतिनायक- अन्य पात्र-वस्तुष्या पार और परिस्थिति वर्णन-अलौकिक और अतिप्राकृत तरव- छन्द अऊकार-भाषा रेली-रूपसंघटन-प्राचीन शानवर्णन-पाण्डित्यप्रदशन और वस्तुविवरण-रस और भावग्यजना-उद्देश्य-महाकाव्य रखियिता का वेशिष्ठ्य- महाकवि । पश्चम अध्याय-- १६८-१६४ (क) विकसनदील आर काव्य-रामायण और महाभारत-मूलघटना ये उपकथायें-विकास की अवस्थायें-वीरयुग की रचनायें-भावपक्ष और कलापक्ष, रामायण महाभारत का परवत्तीं काब्यों पर प्रभाव, संस्कृत विद्ग्ध महाकाध्यों का आधार-- (ख) कालिदास के पूर्ववर्ती कदि और काव्य-पाणिनि-'जास्बचती जय' पाताल विजय-ब्याडि 'बालचरित' वररुखि कात्यायन स्वर्गारोहण, पतज़लि द्वारा उदू्त श्ढोक या. शो करवण्ड-शिरनार का शिछाउेख-अश्वघोष-बुद्धचरित सौन्दरनन्द-माठतृचेट बौद्ध अवदान-हरिपषेग प्रयागस्थ-शिछास्तस्म-भास-सौ मिन्न- कविपुत्र वाकाटक दिदाकर सेन-प्रवरसेन-सेतुखन्घ सवबसेन दरिविजय 1 षप अध्याय-- १६ ४-१३८५८ संस्कृत ( विदग्घ ) महाकाव्य के प्रेरकतत्व-साहित्य और संस्कृति संस्क्ति-कवि और कृति-राजाश्रय-घर्माश्रय-स्सृत्यनुमोद्ित चर्णाश्रम पदति- दशिनिक-चिन्तन, राजनीतिक-चिन्तन-नागरिक जीवन, कविज्ञीवन, सहदय- कछात्मक-मान्यता-प्रकृति-वर्णन का... परपरावादी. इष्टिकोण-कविशिका- भू कवि समय ) कास्यार्थयोनियां-साहित्यककषण प्रस्थों का प्रभाव ।




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