दूसरा कदम | Dusara Kadum
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उसने अन्दर-ही-भन्दर भरवे प्रसाद जी को दाद दी |. कितनी चतुराई से
उन्होंने अपनी बात फरफाजी से कह दी और अपना मरतव्य प्रकट कर दिया ।
वह देख रदा है फूफाजी की समभदारी भंरव प्रसाद जी के समक्ष नहीं के
बरावर है । हजारों के उल्लेख से फुफाजी निराश दिखाई पड़ने लगे हैं । उसकी
इच्छा हुई वह उनसे कहे भंरव भ्रसाद जी फेंक रहे है । पाण्डे जी ने इन्हे कुछ
नहीं दिया । पर कंसे कह दे । उसकी आँखों देखी दातें ही तो भरव प्रसाद जी
ने कही हैं । वह भी शादी में था । इस समय वह चिढ़ते के अतिरिक्त क्या कर
सकता है । अगर करें भी तो फूफाजी जंसे वयोवृद्ध कया उसे समभदारी मानेंगे
इन लोगो की समझ हमारे कन्घों को मजबूत नहीं समभती 1
फूफाजी और भंरव प्रसाद जी किसी निर्णय पर नहीं पहुँच पा रहें है !
फूफाजी तो हजारों की बात के कारण शंकित और निराश दिख रहे है । एक
आगा से फिर वे कहते हैं--पदि आप चाहे तो लड़का वच्ची को देख सकता
है। कोई समय निश्चित कर लीजिए 1
भेरव प्रसाद जी कहते है--हाँ आजकल नये चलन के मुताबिक ऐसा हो
सकता है । पर जहाँ तक. मैं सोचता हूँ मेरा लड़का इतना आज्ञाकारी है कि
मेरी बात टाल नहीं सकता । उसकी सारी इच्छाएँ आप मुझ पर छोड दीजिए ।
मैं जंसा चाहेंगा वैसा ही होगा । पहले प्रारम्भिक बातें हो लें । मे भी तव हीं
हो सकेंगी जब कुंडली का मिलान सही ढंग से हो जाएगा । फिर समय मिलेगा
तो बच्ची भी देख आयेंगे ।
थोड़ी देर भंरव प्रसाद जी रुकते है । शायद उन्हें फूफा जो की वात का
इन्तजार है । फूफाजी फिर उद्धग्न दिखाई पड़ने लगे है । भंरव प्रवाद जी का
धीरन खत्म हो गया है। वे फूफाजी से कहते है--आप क्या निणय कर रे
हैं और आपके दूसरे का क्रम किस प्रकार होगे; आप प्रो के साव्यम थे अवगत
कराइये । और अगले माह एक बार और भा जाइये. 1... « धार दे रद _
वह सोचता है फूफाजी इस वार क्यों थगुग्न-हैंग उसे जास्वभ । रे
हैं किवे भर प्रसाद जी री क्यो नहीं फह रहे हैं कि, शादी नहीं 'द्वो** थी
न नरकजीम | दम ् कक करन पक्के
5 जद शर्र्म्नि सर
ह
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