कर्त्तव - कौमुदी | Karttavy Kaumudi

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Karttavy Kaumudi by चुन्नीलाल वर्धमान शाह - Chunnilal Vardhaman Shah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| 'निटरटटररर्चटरंराटरटररनदरटरधरटररसरटरनरत ( रेप पुषघा क्त० २६ ध 1६ (० छाए, 5 पे ० पौहएी. फिड लाइफ ते ६० इट[016 शरथौत्‌--क्तंप्य मागें दशक ज्योति है, तथा प्रतिद्धष पथ पर चलने बालों को सुयारने चाला चायुर है। ऐसे फत कम के सकेलन कर्ता झनुसव प्राप्त शानाववानी प० सुति श्री १०७८ थी रलचन्द्र जी मद्दाराज्ञ की घट्ठितीय जिद्धना तथा उनसे उच्च शौर फ़िशात वियार सब लोगो पर प्रगट हैं छापण इप धुम उद्देश्यों का व्यादूर्श रूप “फ्तब्य को मुद्दी”' रूपी झथ ( सस्ट्प ) में न्ठोश वद्ध तथा युज्नराती मापा में उसका भायार्थ लिखकर जन समाज को यडा उपकत किया है शरीर श्रीयुत चुभनीलाल जी बद्धगान जी शाद ( गुजराती सापा के श्रनेक ग्रन्थ के नेखफ ) ने इसे सर्घ मान्य घनाने के लिंय ग्रवेक घम ग्र्थों पे श्राधार पर गुजराती मापा में उसका चियेचन किया है। मुनि जी महाराज ने मापय ज्ञीयय को खर्चे समुझत यचातें के लिये, खिन २ कतंब्य फमा की पश्मापश्यसना है उनको सर्व सामाय '्रौए विशेष रुप से बड़ी युवी घ सरलता से इस श्रथ में बतलाते ४, इसी से यदद ग्रस्थ फंचल सी पुष्पो पोदी नहीं चरन बालकों को भी झउुपम उपदेश देने वाला है। इस ग्रन्थ के घथम गरएह में सामान्य फर्तेष्प, दूसरे में विद्यार्थियों का. फर्सव्य, गौर सीखरे में युदस्य का फ्तब्य यतलाया है, यद ग्रस्ध ब्रत्येक मत, घम जासि, ेश तथा काले के मनुष्प मात्र के लिये समय रूप से यहुत उपयोगों श्ौर सापनीय हु। समा में रद दर मनुष्य जन्म पो सपहली भून करने का पा मारो सायारयो घ्म दे जिले सदस्य घर्म मी कइते दूं घद पन्थ शलललररररसलरसारररटर चरररररनटचरररररधर घाप्टरररमरनरगर चलना 2 दि रस सखदिय दर रहरपररउरररर धरलफटररररररररर, 'हररपरर *ररेटररपरररमरूटर: चरररररसरर




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