श्रीपद्म प्रभु कीर्तन | Shripadamprabhu-kirtan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
249
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १४
इस सस्था की कमेटी हमारे अधिकारों को स छीन ले । कितनी
मुर्सता पूरे वात है. । किन्तु श्रीपदूम निद्यालयकी स्थापना हुई श्रौर
इसमें सेठ शुलावचन्द जी रूपाडी वालों का उत्साद सराइनीय है. ।
भगयान से मेरी यह विनय है कि जयपुर रियासत के कुछ लोगों
से जो अन्य प्रान्तों के लोगों से भेद-भाय की भापना है वदद
शीघ्र ही दूर होकर जैन धर्म के प्रचार में सहायक होवे। जेन
वर्म सप्वेपु मैत्री की शिक्षा देता है उसके अनुयायियों का उस
पर चलना परम वर्म है ।
यहां झाने पर मुझ में लिसने का झाटश्य भाग श्याया शीर
मैंने यह पदूम प्रभु कीर्तन लिय डाली जो कि पाठफों के समच्ष
है। यदद कैसी है इसके कहने का मुमे कोई 'विकार नहीं दे |
किन्तु इसके लिखने का उद्देश्य और कुछ नहीं केयल सासारिक
बिचारों मे समय न लगा के भक्ति की भायना श्र प्रभावना
शग की पूर्ति थी । वह पूरी हुई । जिस समय यदद अधूरी ही लिसी
जा रद्दी थी व पूरी होने पर भी भगयान पदूम प्रभु के सामने
इसके नेक कीर्तन हो झुके हैं । उस समय मैंने लोगों की रुचि
शीघ्र दी प्रकाशित कराने की देसी श्रीर उनकी इच्छानुसार इसमे
भजन 'ादि भी जोड दिये गये हूं । जिन सब्जनों के भजन लिये
हैं में उनका हृदय से श्ाभारी हु ।
इसी तरह दूसरा साधन “पट्म-वाणी” के श्रकाशित करने
का है. जो ढडिक्लेरेशन मिलते दी प्रकाशित किया जायगा ।
श्मन्त में में दानयीर लाला सरदारीमल जी जैन मोटेवाले
रईस शरीर श्रीयुत मास्टर शीतलप्रसाद जैन वी० ए० देहली का
अत्यन्त झाभारी हूँ । जिनकी विशेष कृपा से तीन मास देहली में
रहने श्वा-द की सुविधायें शाप लोगों के द्वारा आराप्त हुई ।
लि । -छोटेलाल जैन
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