ऋग्वेद भाष्यम भाग - 5 | Rigved Bhashyam Bhag - 5
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
27 MB
कुल पष्ठ :
882
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऋग्वेद: पं० ३ । अ०८ है । सू० र॥ परे
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पुनर्तमेव विषयमाह ॥
फिर उसी दि ॥
स्तीर्णा अ्ंस्य संहतों विश्वरूपा घृतस्य योनों
स््रचथे. मधूनाम्। श्स्थुरवं घेनवः पिन्वमाना मही
दस्मस्य॑ मातरां समीची ॥ ७ ॥
हि
स्तीणों: । भस्य । सं$हतः । विश्व5रूपाः । घृतस्यं ।
योनी । स्त्रव्ें । मर्थूनाप्। अस्थुं: । अत्रे । घेनवः । पिन्वे-
माना: । महाँइ्ति । दर्मस्य॑ । मातरा । समीचीइतिं ॥७॥।
पदाथ:--( स्तीर्णा: ) झुभगुणैराच्छादिताः ( श्पस्य ) व्यव-
हारस्य मध्ये ( संहतः ) एकी भूताः ( विश्वरूपा। ) नानास्वरूपाः
( घतस्प ) उदकस्य ( योनों ) त्ताधारे ( स्वथे ) स्रवण गमने
( सघुनाम ) मघुराशाम् ( त्स्थुः ) तिप्ठन्ति ( त्त्र ) (घेनवः)
गाव: ( पिन्वसाना: ) सेवसाना: (सही) पूज्ये महत्यी (दरमस्प)
दुःखोपक्षयकररप ( मातरा ) जनकजनन्पों ( समीचीः ) सम्यग
उचन्त्यी ॥ ७ ॥
त्न्वय'--पथा स्तीणा विश्वरूपास्संहतः पिन्वसाना घेनवो-
ताइस्य घृतरप योनी सधूना स्रचथेइस्थुस्तथा समीची मही सातरा
टद्ह्मस्याएपत्यस्य पालिके भवतः ॥ ७ ॥
हट था श
भावाथ'--यथा नदीसमुद्री मिलित्वा रत्नान्य॒त्पादयतस्तथा
स््रीपरुपात्य्पत्यान्युत्पादयन्त ॥ ७ ॥
न ि प न न पिएं िपएएएपएकबय नाााण्तितल्िुएुएएल्यण
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