देविचारित - भाग - १ गरनथानक - १०३ | Devicharit - Part-1 Granthank-103
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
474
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ही ं विषयाबुकम .. है, ० कि ः ः क | ः्&
: '.: उसको युद्ध क्षेत्र में प्रस्यान, श्रत्यंत भीषण-युद्ध जिसमें, ब्रह्माख
द्वारा राम, लक्ष्मण सहित सभी युथपतियों का सुच्छित श्रौर. घायल हि
होना एवं सड़सठ करोड़ वानरी-सेना का संहार करना... २१४०--९२१९६१
जामवंत की प्रेरणा से जड़ी-बूटियाँ लेने के लिये हनुमान का कलादा
पर्वत को प्रस्थान, .जड़ियों सहित पवंतश्दद्भ को लाना तथा उत्तकी ः
गंध के- प्रभाव से समस्त वानरी-सेना का स्वस्थ श्रौर सबल॑ होना. २१९४२--२२२८
सुग्रीव की झ्राज्ञा से बानरी-सेना द्वारा लेंका में रात्रि के समय श्राग
छंद से छंद्र तक
ज्म्रीं
लगाना तेथा विध्वंस कार्य में प्रवत्त होना, रावण द्वारा कुंभ, निकूंम
को उत्पात-शान्त करने के लिये निंददा देना, भयंकर युद्ध, श्रंत
में कुंभकर्ण के दोनों पुत्रों-कूंभ श्रौर निकुंभ का फ़रसदाः सुग्रीव तथा
हसुमान द्वारा सहार २९९६--९३.०६
खर के पुत्र मकराक्ष का रावण की 'श्राज्ञा लेकर रण-क्ेत्र में जाना,
भीवण-युद्ध करना तथा श्रंत में राम द्वारा उसका संहार २३०७--२३५९
क ि घननाद द्वारा रावण को आइवस्त करना, रावण द्वारा श्रपने हृदय
थे थ * की व्यथा का व्यक्त करना तथा श्रंत में सेघनाद का युद्धस्थल पर
जाना --भीषण संग्राम करना तथा हनुमान के समक्ष कृत्रिम सीता...
/;' का बध करना एवसू ... १३४३े-प१३८७ /
हुनुसान का. हतोत्साहू होकर .मागना, हनुमान से सीता-बघ का
: संदेश पाकर राम का- विज्ञल होकर सु्धित होना तथा लक्ष्मण का
कर ससंभकाना अल ने र२३८६--२३९६७
विभीषण द्वारा - मायावी सेघनाद की साया .सात्र बतलाकर
.. राम को श्राइवस्त. करना शरीर यह कहना कि सीता-बघ करना
मेघनादं. के .. लिये श्रसम्मच, जिस सीता का वघ हृष्टिगोचर
हुप्ना-वह कृत्रिम सीता का बंध होगा-- ... ...... र३£८--२४०४
विभीषण द्वारा रास को यह समाचार देना कि मेघनाद निकभला ः
सें देवी-होम कर . रहा है तथा यह परामर्श, देना -कि यज्ञ
में विध्न डालकर सेघनाद. का श्रविलंब बंध किया जाय । .. एव०४-२४१५
है लक्ष्मण, ..सुग्रीव, हनुमान श्रादि का ससंन्य निकुभला को प्रस्थान, व
«२०. यज्त सें;विघ्त डालना,लक्ष्मण शऔर मेघनाद का भीषण संप्राम तथा
User Reviews
No Reviews | Add Yours...