पितृ कर्म्म मीमांसा | Pitrikarmm Mimansa
श्रेणी : धार्मिक / Religious, पौराणिक / Mythological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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ही प्रतीत होता है । इन महानुभावेां झोर यतिवर स्वामी दया-
नन्द के झनन्य मकतें की सेवामे प्राथना है कि वे इस विषय
पर निष्पक्त भाव से परस्पर प्रीति पूर्वक विचार करे ।
पाठकगण (| यहभी स्मरण रहे कि हमारे विचार्सकी संकी-
गाता हमारे ही पय्यन्त नहीं रहती, शपने नेता को भी तुच्छ
बनाती है । यदि हमारे ही सनातनी भ्रातुवगं इस कृत्य को
उसी श्रमिप्राय से मानते वा करते चले आते कि जिस थमि-
प्रायसे इस सत्य के करने की श्राज्ञा वेद ने दी थी तो श्रश्नी के
द्वारा इस उत्तम कर्स्म॑ की झवहेलना श्रवलोकन करने का
श्रवसर भी प्राप्त न होता । झपने पुरुषाओं की प्रतिष्ठा तथा
झप्रतिष्टाके कारण उनके शनुप्रायी वर्ग ही होते हैं झतणव दोनों
पत्ते विद्वानों को यदद उचित है कि पक्त की चाधष्य को
उतार विघारकर, इस काय्य की यथा थता जान और जनाकर
पुण्य के भागी बनें । प्रभुने झापकों विद्याप्रदान की है और श्रन्न
जनताने अपने सुखी को झापके हाथों में दिया है। साघारण
जनता आपके शाघीन हैं, उसको सुखोां से घंथित कर
पाप मत कमाओ । पद्याकी चाक्तष्य उतारो श्रौर प्रभु से प्रार्थना
करो कि हे प्रभु हमारे दृदयों में सत्वगुण का श्ाघोन कर
जिससे कि हमें प्रत्येक कारय्य का यथाथ दशंन प्राप्त हो और:
उसे आपकी झाझाजुकूल कर सुख भोगने के पात्र बनें ।
॥ ओरम शमू ॥
ने
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