लाली लाल जवाहर की | Lali Lal Jawahar Ki
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बाल सुलभ भोलापन
फुल 'ुनते समय काटे जरूर चुभ जाते हैं।
-जवाहर लाल नेहरु
बच्चे जिसे प्यारे हो उसे बचपना वयो न प्यारा लगेगा । बच्चों
के बचपन में रमते-रमते पष्डितजी से बाल सुलमता को अपने में
समौ लिया था । और इतना अधिक समो लिया था कि कभी-कभी
वे सुद भी वच्चो को तरह मचल उठते थे । यह मचलना उनके
मन का भोलापन गौर निप्कलकता ही कही जायेगी । समय, स्थान
सौर स्थिति से अनजान केवल अपने मन के मुख्य भाव को स्पष्ट
User Reviews
No Reviews | Add Yours...