चारोधाम और सप्तपुरी की भांकी | Charodham Aur Saptpuri Ki Bhanki
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
93
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( २४ ])
हीस के वैभव काल में यह पुरी अपने महत्वपूर्ण
विष के लिये सारे देश में पथ दूशेरू रही है। 5
बिपय के प्रत्येक विद्वान के लिये श्रपने सिद्धान्त
सोवभीभता प्रमाखित करने को काशी में उसेकी मार
स्वीकार करानी पढ़ती थी भर प्रत्येक धार्मिक माम
में किसी युग में काशी के पंडितों की व्यवस्थ। सों'
समझी जाती थी काशी सप्प्रियों में श्रपना विः
स्थान रखती है, कहते हैं जित प्रकार मशूरापुरी पि'
भगवान के सुदर्शनचक्र पर स्थिति है उसी प्रकार का?
मगवोने श्र के त्रिशल पर स्थापित है दोनों दी पु
तीन लोक से न्पारी है श्रीर दोनों का ही प्रलय
नाश नहीं दोता है -
तीन लोक से मथुगे न्पागी, तीन लोक से काशी ।
प्योगी एक श्याप सुन्दर की, दूजी प्रिय अविनाश ॥
तीन काल में रहें निरन्तर, लीलाघाम विलोसी ।
भगवदरूर मुक्ति को दाता, पूरण ब्रह्म प्रकाशी ॥
एक त्रिद्वान के शब्दों में दमारी यद्द सातों पुर
भातव्प के धार्मिक देह में सप् श्राण के समान है 9
समय समय पर हमारी भष्य।त्मिक चेतना को जोग्रत
रखकर हमें घिश्व कन्याण के माग में बढ़ने के लिए
अनुप्र रित रूरती रहती है । काशीपुरी इमारी इन्हीं
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