श्री ओसवाल महासम्मेलन | Shree Oswal Maha Sammelan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ६ डर
फायचाही में भाग लूँगे । डुर्भाग्यवश ता ६ १० ३२ को सभापतिजों की पुमवधू के देहास्त
हाने का समाचार मप्रिठा । परन्तु इसकी कोई परगाद्द न फर थे अपने कत्तेन्य पालन पर अटल
रहे लेफिन यहीं पर हो समापति महोदय को अधि परीक्षा को इतिश्री नहीं हुई। _ तोसरे ही
दिन तार से समाचार मिला कि ये स्वय इनफ्टलुजा रोग से ग्रसित हो गये हैं और उनका
अजमेर के ल्ये प्रस्थान करना फठिन है। इघर सम्मेलन में भाग लेनेयाले सज्ञन तथा
स्पयसे पक थाहर से पधारने गे थे। मिस दशा में स्थागत समिति तथा उपसमिति के
फार्यक्चगिण बडी असमंजस में पढ़ें। भय प्रश्न यह उठा कि या तो समेलन का
अधिवेशन कुछ दिनों के ल्यि स्थगित कर दिया जाय या उसके सवारन का
फाई भर प्रसत्थ किया जाय। लक्नि प्रथम अधिपेशन में ही इस सरह किसी भी
प्रकार से काम चढाना सतोपप्रद नहीं जचा। अन्त में यह निश्वय हुआ कि सम्मेखन
फो स्थित सपना किसी भो प्रसार उचित नहीं होगा । पसा करने से लोग अकारण
ही नाना प्रसार की कतपना करने लगेंगे । इस कारण सभापतिजी के पास इस आशय
का तार मेचा जाय कि पाहर से प्रतिनिधियों का जाना ध्ारम्भ हो गया है। इस कारण
अधिवेशन को स्थगित रपना समय नहीं है। आप अपने सुपुन् अथवा और किसी योग्य
सज्न फे साथ अपना भाषण भेजकर फाय्योस्म होने दे और दो एक दिनों में स्वस्थ्य
होने पर आप स्यय पधघारे ।
लेफिन यहा तो समापंतिजी के हृदय में समाज सेवा और फत्त॑व्य पालन फी
प्रग्ठ रदर उठ रहो थी। तार पाते ही भापने निद्यय कर लिया कि किसी भी हालत में
अय नहीं सकेंगे और योमार रहते हुए भी ता १३ १० ३२ को ल्ग्यो सफर के ल्ये कमर
फस कर अजमेर के लिये पजाय मेल से रवाना दो गये। साथ में उनके पुर याउू
पिजयसिहजी नाहदर या० ए०, पिहार नियासी उनये दौहिय यायू इन्द्रचन्दजो खुचती थी० ए०
पल० पुर वी० पडयोफेट हाइको्ट तथा आागण निवाखी देशभक्त चादू चादमरजी जौहरी
चो० ए० पल ० पल० चो० घकील हाईफोर थे । रास्सी में कानपुर, आगरा नथा क्शिन
गढ के भाइयों ने अपने अपने स्टेशनों पर अच्छा सप्या मे उपस्थित होकर पुष्पयूष्टि के
द्वाय समापतिजी का प्रेमपूर्ण स्वागत किया । ता १५ अंक्टूपर को भास सादे सात
वजे के समय अजमेर स्टेशन पर गाडी जा लगो। स्पागत के ये बहा पहले से दो यु
स्यक लोग उपस्थित थे। उन में छुछ पिशेष नाम इस प्रकार है ---
सेठ कानमल्जी छोढा, सेठ रामडारजी लूणिया, चायू गुलाययन्दूज्ी ढड्ा
पएम० ए०, सेठ दीरायदनी सुचंतो, सेठ फुल्चन्दजी भायक याउू पूरणचन्दजी सामसुस्या,
वायू कुन्नामलजी फिरोदिया वकोठ, सेठ इन्द्रमलजी लूणिया, घातू दयास्वदजी
जोदरी सेठ सोश्रागमल्जी मेडता, बावू अमरचन्दनी कोचर, सेठ खुगनवन्दजी घामन
गाम पाले, स्वागताध्यक्ष सेठ राजमरजो स्ठयाणी राय सादे हुष्णलाल्ज्ी चाफणा
चादू खुगनघद्जी नाहर तथा वावू 2 डागी--मरनी सम्मेलन 1 ः
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