समाधि | Samadhi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शन्घी मालिन ]
निदडिया ने हँस भर दिया; कुछ कहा नहीं । ग्ठकास ने
उस पुष्प-गुच्छ के अपने बटन के छेद में पिन्हाकर वहाँ से
प्रस्थान किया ।
जाते-जाते छुडियास ने पूछा--तो यह मालिन तुम्हारी
स्नेह-सं गिनी है ? ही
“हाँ, यह अच्छा गाती है। इसे पसन्द करने का एक
और भी कारण है । इसकी जन्म-भूमि थेसाली है, जो हम
लोगों के पूज्य देवता की आवास-भूमि है ।
“डाकिनी का देश !””
“सत्य है! मेरी तो. राय है कि रसणी-मात्र ही
डाकिनी हैं । विशेषतः पस्पियाई के प्रत्येक दश्यनसे मानो प्रेम
फूटा पड़ता है ! न जाने क्यों, पम्पियाई की युवैतियों के
देखते ही मेरा हृदय पुलकित हो जाता है ।”
ठीक उसी समय, एक अवशगुश्ठनवती सुन्दरी, उसी
रास्ते से; आ रही थी । छडियास ' बोला--यह देखो, मेघ
के बिना चाहे ही जल ! क्या तुम इस सुन्दरी के पहचानते
डो ग्लकास, यद्द डायामिड की कन्या--सुन्दरी जुलिया--है।
कुछ और पास आने पर छुडियास उस रमणी का अभि-
वादन करके बोला--सुन्द्रीः जुलिया ! अच्छी तरह से
होन?
जुलिया चघूँघट के कुछ हटाकर; हँसती हुई; बोली--
हाँ, एक तरह से अच्छी ही हू !
र्ध
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