मानव संघर्ष | Manav Sangharsh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
233
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)३० मानव-सं घषें
क्रदाचित यह संभव हो जाये कि पदार्थ इस जगत् में कहाँ से श्राया है
इसका पूरा पता लग जाय | इस समय तो विज्ञान से हम केवल इस
पदार्थ के लक्षणों का निरूपण कर सकते हैं:--
(१) पदार्थ स्वयं तो निर्जीव है अर्थात् उसमें चलने की स्वयं शक्ति _
नहीं है । इस लिये यदि पदार्थ स्थिर है तो स्वयं नहीं चल सकता'
और यदि चल रहा है तो अपनी गति को स्वयं नहीं रोक सकता ।
सूय के चारों श्रोर जो अह अमण कर रहे हैं वे लाखों वर्ष से चल रहे
हैं, रुके नहीं । कोई भी मेज़ कुर्सी स्वयं नहीं चल सकती |
(२) पदार्थ किसी बाहरी शक्ति ही से चल सकता है आर यदि
पदार्थ में कोई गति हे तो उसे रोकने के लिये भी बाह्य शक्ति ही
चाहिये ।
(३) शक्ति सदा पदार्थ ही में प्रकट होती है तथा इसके परिवरतंनों
में प्रायः शक्ति की उत्पत्ति होती है ।
(४) पदाथ का प्रत्येक अखु एक दूसरे को खींचता है ! पदार्थ के
अतिरिक्त दूसरे तत्व जो इस जगत् में स्थित हैं वे हैं--शक्ति, आकाश
तथा समय ।
शक्ति के विषय में कई वेज्ञानकों की घारणा है कि यह पदार्थ से
सिन्न नहीं है । इस बात को कोई भी पएण॑ रूप से प्रमाणित नहीं.
कर सका है कुछ पदार्थ को गति जो इस जगत् में देखी जाती है बह
शक्ति के कारण ही हैं । पदार्थ कभी नष्ट नददीं होता | आप एक घड़े
को फोड़ डाले तो वह नष्ट नहीं होता किन्तु दी करों के रूप में विद्यमान.
रहता हैं । यदि इन ठोकरों को भी पीस डालें तो घड़ा मिट्टी के रूप में
रहता दे । सारांश यह है कि हम पदार्थ को मिटा नहीं सकते ! पदार्थ की.
भाँति शक्ति भी कभी नष्ट नहीं होती । किसी इंजन या तेल में चाष्प
की जितनी शक्ति लगेगी उतनी. ही शक्ति की विद्यत् वद्द इ' जन. बन
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