हिंदी - कलाकार | Hindi Kalakar

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Hindi Kalakar by इंद्रनाथ मदान - Indranath Madan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कबीर ७9 समाज में विष की भाँति व्याप्त नाथपंथी योगियों, पड़ितों श्यौर मुल्जाश्रों के प्रभाव को नष्ट करने का बीड़ा उठाया और दूसरी श्रोर उन्होंने हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्मों के मूल-ततवों को लेकर एक सामान्यधर्म निकालने का प्रयत्न किया । इस सामान्य धर्म में उन्होंने योगियों का हृठयोग, सूफियों का * प्रेम, ब्राह्मणों का झट्दतवाद श्र मुसलमानों का एकेश्वरवाद लेकर उसको ऐसा रूप 'दिया कि जिसमें मानवता की काया निखर उठी श्रौर साघक श्रौर भक्तों को श्रपने श्रनुकूल कस मिल गई । कबीर ने जिस सामान्य धर्म का उपदेश दिया था, वद्द जनता को रुचिकर इस लिए, हुश्रा कि उसमें सरलता थी श्रौर सरलता के साथ सभी प्रकार के घर्मों का सार तस्त्र उसमें मौजूद था । कबीर का बह सामान्य मार्ग कबीर पंथ कइलाया, जिसके श्रनुयायी लाखों की संख्या में दो गए श्रौर श्राज भी जिनकी कमी नहीं है । कबीर ने जि संतमत के श्राघार पर शपना श्राध्यात्मिक ज्ञान दिया उसमें न्रह्म, जीव श्र माया का निरुपण उन्होंने बिलकुल अपने ढंग से किया । कनीरदास का सम्बन्ध रामानन्द से था । उन्हीं के द्वारा उन्हें दान हुश्रा था । कग्ीरदास ने स्वयं इस बात को स्वीकार किया है 1 रामानन्द रामानुजाचार्य की परम्परा में श्राते हैं श्रौीर उस परम्परा के होतें हुए; भी उससे भिन्न मत या. सम्प्रदाय का प्रचलन करने वाले दो गए. हैं । रामानुजाचार्य का मत श्री वेब्णव सम्प्रदाय कहलाता हे जब कि. रामानन्द का सम्प्रदाय शी सम्प्रदाय कहलाता हे । रामानुजाचाये के सम्प्रदाय में केवल्लु उच्च २--काशी में इम प्रगट भर हैं रामानन्द चिताए ।




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