गान्धी हत्याकांड | Gandhi Hatya Kand
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
450
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( हे )
अपराधका नैतिक समर्थक ऐ, चदद हो केवल न्याय-दाने प्रणालीमें सहायता देनेका
काम करता है ।
एक चात अवरय है। ऐसे सुकदसे जब राजनीतिक होते हैं तो अपराधीके
राजनीतिक विचारोंसे सहमत रददनेवाले लोग बचावके लिए सबसे अ.गे रहते हैं ।
. पर इसका मतलब यह नष्टीं रदता कि अभियुक्तने यदि खून किया हो, ढाका. डाला
हो तो उसके खून करने और डाका डालनेके कार्यका कोई नैतिक समर्थन करता है ।
'नरेम्बरं में जमेन युद्धापराधियोंपर जो मुकदमा चला था, उसमें उनपर महायुद्धमें
तीन करोड़ आदमियोंकी इृत्या करनेका अभियोग लगाया गया था । पर उनके बचाव.
का अ्रवन्ध भी मिन्नरा्ट्रीनि कर दिया था ।
गान्धी-हृत्याकाण्डके मुकदमेमें थी अभियुक्तोंका वचाव करनेके लिए कई वकील
आगे भाये और भारत सरकारने उनको पूरी सुविधा दी ।. माल्म होता है कि श्री
सावरकरने जेलसे श्री भोपटकरको कद्दला भेजा कि मैं आपको अपना वकील
चनाता हूँ और आपको मेरा चचाव करना ही पड़ेगा । उन्होंने सम्भवतः यह थी
लिखा कि आप ही पर मेरा भरोसा दं। इसके वाद भोपटकर इनकार नहीं कर सकते
थे और उन्होंने व्यक्तिगत रूपसे सावरकरका काम करना मंजूर कर लिया । पर एक
बार जहाँ उन्होंने काम किया सारे मुकदमेके बचावका भार ही उनपर सा गया |
इसपर महाराष्ट्र प्रान््तीय हिन्दू सभाकी कार्यकारिणीने एक न्याय-साहाय्य-ससिति बनायी
: और एक न्याय-सादाय्य-निधि भी खोला । . इस वचाव समितिके अध्यक्ष भोपटकर
वनाये गये | संयोजक श्री रामभाऊ मंडलीक और कोपाष्यक्ष श्री ग८ वि. केतकर
चने । २ मद्देको समितिका काम शुरू हुआ । ६ जूनकों पूनेमें इसकी फिर बैठक
हुई और एक अखिल भारतीय वचाव समिति बनायी गयी जिसके १९ सदस्य थे ।
एक अखिल भारतीय बचाव निधि सी खोला गया । चचाव समितिकी ओरसे ढाक्टर
जयकरसे अनुरोध किया गया कि सावरकरकी इच्छाके अजुसार वे सावरकरकी ओर
से पेरवी करें, पर डाक्टर जयकरने फुरंसत न होनेका कारण बताकर इनकार कर
दिया । चचाव समितिकी शोरसे वम्बई सरकारसे अनुरोध किया गया कि वह यरवदा
जेलमें नजरवंद पूनेके श्री वासुदेव बलन्वत गोगटे वकीछको पूरी तरह या पेरोलपर
रिद्दा कर दें क्योंकि अभियुक्त करकरेने स्पेशल जजके सामने यह इच्छा श्रझूट की
थी कि गोगरे दी मेरी पैरवी करें ।
ब्रादमें मालूम हुआ कि श्री गोगटेको रिहा करनेसे वम्वद सरकारने इनकार कर
दिया । - -
बचाव समिंतिने वकीलॉको लाने-ले जाने और ठहराने आदिकी व्यवस्था करनेके
* लिए दो उपसमसित्तियाँ भी चना दीं- जिनका काम चालिसगांवके श्री जोगलेकर,
User Reviews
No Reviews | Add Yours...