ठण्डी सड़क | Thandi Sadak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
115
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ ठंढी सड़क
गिद कहीं “प्र मी एक घणटा भी रो आावे तो तीन दिनकी मूसला-
धार वृष्टिकी समा बैँघ जाय ! नाव-डॉगी किसीक घरपर तैयार
रहती नहीं है । बाजार भी जाना हो तो किघरसे जाय ?”!
खेर यही मान लीजिये । कोई साहब “'इज्लेण्डमें नो मास”
पस्तक लिखना चाहते हैं, परन्तु इसक पहले इड्जलैण्डमें नी मास
रहना भी आवश्यक है, ओर फिर इसक पहले रास्ता भी तो पार
करना पढ़ेगा । लेकिन एक प्रेमी कहता है कि “मैं अगर शाह
करू दम में समुन्दर जल जाय ।” यदि ऐसा प्र मी अ्रदावतसे
'“समुन्दर” ही सोख ले तो जहाजका रास्ता कहांस रहेगा ? तब
पस्तक लिखनेवाले महाशय अपने बालकपन पर ही अाँसू बहा
बद्दाकर पस्तकका नाम “'पेटमें नौ मास” रख सकते हैं
सजनबन्द ! यद्यपि “रहीम” कवि कह्द गये हैं किः--
रहिमन वे नर मर चुके; प्रम करन कहूँ जांय ।
उनस पहले वे मुये; घर बंठे जमुद्दांय ॥।
परन्तु प्रमीकी तो क्या किसीकी भो म्त्यु समभ लेनेस ही
नहीं हो सकती । सृत्युके लिये तो सचमुच मरना ही पढ़ेगा ।
तब लोक-नीतिग्रन्थ “'आल्हा' में झाता है किः--
बारह बरस तक कुत्ता जीवे श्री, तेरद तक जिये सियार ।
बरस झठारह प्रेमी जीवै; शागे जीवनका घिरकार ॥
परन्तु भाइयों ! सच बात तो यद्द है कि मैं न तो श्राल्हाको
नीति अथवा प्रामाणिक ग्रन्थ ही मानता हूँ और न यहां यही
विवेचन करनेके लिये खड़ा हुआ हूँ कि प्र मी कितने दिन जीता
है । मुे तो उन लोगोंकी बातका उत्तर देना है, जो कहते हैं कि
प्र मीकी सत्यु वियोगकी वेदनास होती है |
डाक्टर कवि--'गालिब' साहब कहते थे कि 'ददका हद्से
शुजरना है दवा हो जाना ।” वेदनास विदाई कहां ? हमारे जेसे
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