बांदा जनपद में साम्यवादी दल की भूमिका | Banda Janapad Men Samyawadi Dal Ki Bhumika

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Banda Janapad Men Samyawadi Dal Ki Bhumika by अर्चना श्रीवास्तव - Archana Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(5) जाती है उसी प्रकार मार्क्स का द्वन्द्वाद भी वर्गविहीन समाज की स्थापना को द्वन्द्ववाद की अन्तिम मंजिल (संवाद) में मानता है जिसके अन्तर्गत आर्थिक संघर्षरत वर्गा के अभाव में फिर प्रतिवाद या संवाद की व्यवस्थाओं के आने का प्रश्न नहीं उठेगा। इस प्रकार द्वन्दवाद की प्रकिया में मार्क्स आध्यात्मिक या विचार के स्थान पर भौतिक या पदार्थ तत्व में योगदान को मान्य करता है। इसलिये उसका सिद्धान्त द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद कहलाता है | ऐतिहासिक भौतिकवाद ऐतिहासिक भौतिकवाद या इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या केवल भौतिकवादी द्न्द्वाद है जिसका प्रयाग समाज के मानवीय संबंधों के विशेष क्षेत्र में किया गया है | ' इतिहास की गति द्वन्द्ात्मक है । प्रत्यक स्थापित व्यवस्था वाद होती हे जो प्रतिवाद को जन्म देती है और कुछ समय के पश्चात्‌ उसका संवाद हो जाता है | इस प्रकार कान्ति अनिवार्य है। एक ही महत्वपूर्ण कारण जो इतिहास की गति निर्धारित करता है और विनिमय के साधनों में परिवर्तन करना होता है। इतिहास्स की अर्सथिकआर्ककखया व्याख्या एतिहासिक भौतिकवाद के द्वारा प्रदत्त विकास के कठोर मार्ग को आर्थिक कारण अर्थात उत्पादन ने गति प्रदान की | उत्पादन के दो कारण है जैसे- उत्पादक शक्तियां (उत्पादन के साधन) और उत्पादक संबंध (उत्पादन के समय पारस्परिक संबंध) एंजेल्स ने भोतिकवाद से आर्थिक संक़मण काल की व्याख्या इस प्रकार की है:-- इतिहास की भौतिकवादी धारणा इस परिकल्पना से प्रारम्भ होती है कि मानव जीवन को चलाने के लिये उत्पादन के साधन और उत्पादन के पश्चात उत्पादित वस्तुओं का विनिमय ही सार सामाजिक ढांचे का आधार होता हे । इतिहास में जितने भी समाज हुये है उनमें जिस प्रकार से धन का वितरण किया गया है और समाज को जिन वर्ग या व्यवस्थाओं में बांटा गया इन सभी का आधार यह था कि उत्पादन क्या किया जाता है और इसका विनिमय किस प्रकार किया जाता है। 1... केरियोहंट आर.एन., “दी थ्योरी एंड प्रेक्टिस आफ कम्यूनिज्म', पृष्ठ - 61




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